रांची : रांची के कमड़े स्थित रातू रोड के गोपाल भारती का एग्रीकल्चर स्टार्टअप ड्रैगन फ्रूट की खेती में नया मुकाम हासिल कर रहा है. इससे पहले गोपाल हैदराबाद के फॉरेस्ट रेंज में एनवायरमेंट अफसर की नौकरी कर रहे थे, लेकिन अब रांची में उगाये गये ड्रैगन फ्रूट की बिक्री की तैयारी में जुटे हैं. करीब 1000 केजी के ड्रैगन फ्रूट तैयार हो रहे हैं. अगस्त से इनकी बाजार में बिक्री शुरू होगी. गोपाल ने बीते वर्ष से तैयारी शुरू की थी.
उन्होंने बताया कि इसकी खेती से जुड़ने का मौका पहले लॉकडाउन में मिला. खेती के लिए जमीन की तलाश शुरू की. कुछ समय बाद सवइया गांव, आनंदी में पांच एकड़ जमीन लीज पर ली. ड्रैगन फ्रूट के साथ इंटर क्रॉपिंग करते हुए शिमला मिर्च व स्ट्रॉबेरी भी तैयार किया. जमीन के शेष हिस्से में केला और अवोकाडो के पौधे भी लगाये. एग्रो फार्मिंग भी कर रहे हैं.
गोपाल ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी (रांची) से 2017 बैच में एनवायरनमेंट साइंस की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद हैदराबाद में नौकरी की. वहां नगर भ्रमण के दौरान खेत में पीलर पोस्ट पर कैक्टस जैसा पौधा देखकर जिज्ञासा हुई. पता करने पर किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का तरीका बताया. नौकरी में रहते हुए ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग ली.
दो वर्ष बाद स्टार्टअप के तौर पर खेती से जुड़ने का निश्चय किया. स्टार्टअप शुरू करने में गोपाल के बड़े भाई दिव्यार्थ गौतम ने मदद की. पांच एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांटकर काम करना शुरू किया. दो एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट के 5000 पौधे लगाये. एक पौधे से 35 से 40 केजी के फल की उम्मीद है. एक वर्ष में दो बार ड्रैगन फ्रूट उपलब्ध करायेंगे. दो एकड़ जमीन पर केले लगाये और शेष एकड़ में एग्रो फार्मिंग के साथ पानी की पर्याप्त सुविधा तैयार की.
ड्रैगन फ्रूट इम्यूनिटी बूस्टर फल के रूप में चिह्नित है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण वायरल संक्रमण से बचाने में मददगार हैं. ड्रैगन फ्रूट में कैल्सियम और फॉस्फोरस की मात्रा भरपूर पायी जाती है, जो हड्डियों को मजबूत करने, कमजोर दांतों को मजबूत करने और डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ड्रैगन फ्रूट में पाये जानेवाले फैटी एसिड स्किन और बाल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.