मनोज सिंह, रांची:
सूखा नियमावली-2020 (संशोधित) के तहत राज्यों को 31 अक्तूबर तक केंद्र सरकार के समक्ष सूखे का दावा करना होता है. इसके बाद ही केंद्र सरकार अंतर मंत्रालय टीम को राज्यों में सर्वेक्षण के लिए भेजती है. इस वर्ष झारखंड में समय पर पर्याप्त बारिश नहीं हुई. इसके बावजूद झारखंड सरकार ने खरीफ की फसल को हुए नुकसान से किसानों को राहत देने के लिए न तो राज्य में सूखे की घोषणा की और न ही केंद्र सरकार के पास सूखा राहत का दावा किया. जबकि, नियमावली के अनुसार समय सीमा खत्म भी हो गयी.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष खरीफ की खेती के दौरान झारखंड के करीब 210 प्रखंड सूखे की चपेट में थे. इनमें से नौ प्रखंडों में गंभीर सूखा पड़ा था. इनमें चतरा के चार, हजारीबाग के चार और कोडरमा का एक प्रखंड शामिल है. इन नौ प्रखंडों में सामान्य से 60% से भी कम बारिश दर्ज की गयी थी. आइएमडी की रिपोर्ट बताती है कि यह लगातार दूसरी बार है, जब झारखंड के 200 से अधिक प्रखंड सूखे की चपेट में हैं. इन प्रखंडों में सामान्य से 20% तक कम बारिश हुई है.
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इस वर्ष राज्य के 21 जिलों में सूखे की स्थिति थी. बारिश कम होने से इन जिलों में खेती की स्थिति भी ठीक नहीं थी. इस कारण इन जिलों के करीब 210 प्रखंड सूखे के लायक तय ‘ट्रिगर-1’ के मापदंड को पूरा कर रहे थे. आइएमडी के अनुसार, राज्य में केवल 57 प्रखंडों में ही सामान्य बारिश हुई है. तीन जिलों में बारिश की स्थिति अच्छी है.
राज्य में इस वर्ष मात्र 11 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है. कृषि विभाग ने 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. इसके मात्र 62% में ही धान लग पाया है. बीते साल करीब आठ लाख हेक्टेयर में धान लग पाया था. अन्य फसलों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है.
सूखे की स्थिति को लेकर कृषि विभाग ने ग्राउंड ट्रूथिंग (जमीनी हकीकत) भी करा लिया था. भारत सरकार से सूखा राहत राशि लेने के लिए ग्राउंड ट्रूथिंग जरूरी होता है. इस कारण कृषि विभाग के अधिकारियों को जिलों में सैंपल के तौर पर जाकर जमीनी हकीकत पता करने को कहा था. इसकी रिपोर्ट भी तैयार कर ली गयी थी.
राज्य सरकार ने 2022 में 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. इसके बाद भारत सरकार की टीम ने दौरा भी किया था. इससे पूर्व सूखा राहत के रूप में राज्य सरकार ने किसानों को प्रति परिवार 3500 रुपये की सहायता दी थी. भारत सरकार की टीम ने भी दौरा करने के बाद राज्य आपदा कोष से राशि खर्च करने की अनुशंसा की थी.
हम लोग कई वर्षो से बार-बार भारत सरकार से सूखा राहत के लिए आग्रह करते रहे हैं. इसके बावजूद कोई फायदा नहीं होता है. पिछले साल राज्य की स्थिति बहुत खराब थी. भारत सरकार ने टीम भी भेजी थी, लेकिन कुछ नहीं दिया. यहां तक की अपना राहत कोष का पैसा नहीं खर्च करने दिया. इसके बावजूद कृषि विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग को अपनी रिपोर्ट भेज दी थी. हमलोग किसानों को केंद्र के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जल्द बैठक होगी. किसानों को राहत दी जायेगी.
बादल पत्रलेख, कृषि मंत्री