झारखंड के 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करने की हो रही तैयारी, कैबिनेट को भेजा जायेगा प्रस्ताव
राज्य में खरीफ के मौसम में समय पर बारिश नहीं हुई है. इसकी वजह से खेती प्रभावित हुई है. जलाशयों में भी जलसंकट की स्थिति है. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित करने का तैयारी किया है.
आपदा प्रबंधन विभाग ने राज्य के 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करने तैयारी कर ली है. 110 प्रखंड मॉडरेट, जबकि 48 प्रखंडों को गंभीर रूप से सूखाग्रस्त किया जा सकता है. इससे संबंधित प्रस्ताव पहले कैबिनेट में जायेगा. वहां से अनुमोदन के बाद इसकी जानकारी केंद्र सरकार को दी जायेगी. प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए केंद्र सरकार के सूखा मैनुअल के हिसाब से ट्रिगर-1 और ट्रिगर-2 की रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है. अब कृषि विभाग सूखा की स्थिति को लेकर जमीनी हकीकत (ग्राउंड ट्रूथिंग) का पता लगा रहा है. इस काम में कृषि पदाधिकारियों को लगाया गया है.
गौरतलब है कि राज्य में खरीफ के मौसम में समय पर बारिश नहीं हुई है. इसकी वजह से खेती प्रभावित हुई है. जलाशयों में भी जलसंकट की स्थिति है. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित करने का तैयारी किया है. सूखाग्रस्त घोषित करने के बाद ही राज्य सरकार सहयोग के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करेगी. इसके बाद केंद्र सरकार अपनी टीम भेजेगी. टीम की रिपोर्ट के आधार पर राज्य को सूखा राहत मिल सकता है.
Also Read: झारखंड : कैबिनेट में नवंबर में आएगा जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने का प्रस्ताव
सभी जिलों में जमीनी हकीकत का पता लगाया जा रहा है :
मुख्य सचिव के निर्देश के बाद कृषि विभाग राज्य के सभी प्रखंडों की ग्राउंड ट्रूथिंग करा रहा है. इसकी रिपोर्ट अक्तूबर के अंत तक देनी है. यह सूखाग्रस्त घोषित करने का तीसरा चरण है. इसके आंकड़े के आधार पर राहत का दावा मजबूत होता है. इसके लिए हर जिले के 10 फीसदी प्रखंडों का चयन किया जाता है. इसमें 10 फीसदी गांव चयनित होंगे. 10-10 फीसदी गांव में से पांच-पांच प्लॉट का चयन किया जायेगा. इस तरह एक प्रखंड में करीब 50 प्लॉट की जमीनी हकीकत की रिपोर्ट तैयार की जायेगी.
तीन बिंदुओं पर तैयार होती है रिपोर्ट
किसी भी इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए तीन बिंदुओं पर विचार होता है. पहले में फसल आच्छादन, बारिश और स्यॉल परसिपिटेंट इंडेक्स (एसपीआइ) देखा जाता है. बारिश और एसपीआइ मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट पर तैयार होता है. 33% कम फसल आच्छादन को रिपोर्ट में शामिल किया जाता है. ट्रिगर-1 में 20 जिलों के 192 ब्लॉक सूखे के लायक पाया गया था. दूसरे में चार तरह के वैज्ञानिक पारामीटर का ख्याल रखा जाता है. इसमें जलाशयों की स्थिति, आइएमडी रिपोर्ट आदि को शामिल किया जाता है.