प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के अधिकार को झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी है. डीएसपी प्रमोद मिश्र व एएसआइ (आइओ) सरफुद्दीन खान ने याचकिा दायर कर कहा है कि पुलिस के कार्य में इडी को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस सिलसिले में राज्य सरकार की रिट याचिका को पिछले दिनों खारिज कर दिया था.
साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस मामले को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में आर्टिकल-226 के तहत याचिका दायर करे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में डीएसपी प्रमोद मिश्र व एएसआइ सरफुद्दीन खान ने गुरुवार को क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर इडी द्वारा जारी समन को चुनौती दी है. उसे निरस्त करने की मांग की है.
याचिका में प्रार्थियों ने कहा है कि संविधान के अनुसार विधि-व्यवस्था राज्य का विषय है. इसमें इडी हस्तक्षेप कर रही है, जो संवैधानिक नहीं है. बरहरवा 85/2020 केस में इडी का कोई मामला नहीं बनता है. यह टेंडर विवाद का मामला है. जून 2020 में टेंडर हुआ था. दोबारा टेंडर हुआ था. शंभु नंदन कुमार के भाई के सुंदरम इंटरप्राइजेज को नौ दिसंबर 2020 को टेंडर आवंटित हुआ. वर्ष 2020 में केस दायर किया.
दो वर्ष तक इसे कोई हड़बड़ी नहीं थी. राजमहल टोल प्लाजा शंभु नंदन कुमार के भाई कृष्ण नंदन कुमार को मिला है. पाकुड़ का टोल प्लाजा वर्ष 2008-2009 से लगातार शंभु नंदन के नाम से है. अब भी इनके पास ही है. पाकुड़, बरहरवा व राजमहल टोल प्लाजा शंभु नंदन कुमार व उनके भाई के अधिकार क्षेत्र में रहा है. इडी जबरदस्ती अवैध माइनिंग का आरोप लगा कर जांच कर रही है.
यदि अवैध माइनिंग हुई है, तो ट्रांसपोर्टिंग भी हुई होगी है, जो उक्त टोल प्लाजा से गुजरा होगा. इस मामले में शंभु नंदन कुमार व उनके भाई को इडी ने आरोपी क्यों नहीं बनाया? उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गयी? शंभु नंदन कुमार ने बरहरवा मामले के ट्रायल के दौरान प्रोटेस्ट पिटीशन दायर किया था, जिसे अदालत खारिज कर चुकी है.
शंभु नंदन कुमार उस क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है. इसलिए वह मामले को अलग रंग दे रहा है. दोनों पुलिस अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभायी है, जिसमें इडी को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
उल्लेखनीय है कि इडी द्वारा बरहरवा टोल विवाद मामले में जांच अधिकारी सरफुद्दीन खान और डीएसपी प्रमोद मिश्रा को समन जारी किये जाने के बाद सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. इसमें यह कहा गया था कि इडी राज्य सरकार की जांच एजेंसियों के काम में हस्तक्षेप कर रही है.
पुलिस द्वारा बरहरवा टोल विवाद मामले में कुछ अभियुक्तों को निर्दोष करार दिये जाने पर केंद्रीय जांच एजेंसी (इडी) सवाल उठा रही है. इसलिए न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करे और इडी को राज्य सरकार की जांच एजेंसियों के काम में दखल देने से रोके. हालांकि, इडी बरहरवा टोल विवाद के जांच अधिकारी सरफुद्दीन खान से पूछताछ कर चुकी है. इसमें वह यह स्वीकार कर चुके हैं कि टोल विवाद में जांच तर्कसंगत नहीं हुआ, डीएसपी ने 24 घंटे के अंदर पंकज मिश्रा और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को निर्दोष करार दिया था.