रांची: इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विषय था-जनजातीय संस्कृति और पारिस्थितिकी संरक्षण. स्वागत भाषण इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स रांची के रिजनल डायरेक्टर डॉ सपम रणबीर सिंह ने दिया. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग, प्रकृति से खिलवाड़ जैसे कई महत्वपूर्ण कारक हैं, जिनके कारण जनजातीय संस्कृति विलुप्त होने की कगार पर है. उन्होंने कहा कि संरक्षण के लिए सामूहिक सहभागिता की आवश्यकता है.
सामूहिक प्रयास से जनजातीय संस्कृति रहेगी संरक्षित
विशिष्ट अतिथि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जनजातीय संस्कृति को सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों की सामूहिकता और इच्छाशक्ति से संरक्षित रख सकते हैं. झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ टीएन साहू ने जनजातीय समुदाय की परेशानियों का उल्लेख करते हुए उन्हें सामाजिक परिवेश में उत्तरोत्तर प्रगति की ओर ले जाने की बात पर जोर दिया. पूर्व कुलपति और मानवशास्त्री डॉ सत्यनारायण मुंडा ने जनजातीय संस्कृति की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आगामी पीढ़ी का यह दायित्व है कि हम पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखते हुए जनजाति संस्कृति को भी आगे ले जाएं. डीएसपीएमयू के खोरठा विभाग के अध्यक्ष और इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ विनोद कुमार ने विस्तार से इस विषय पर अपनी राय रखी. इस सत्र में संबलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ बीसी बारीक, डॉ कमल कुमार बोस आदि ने भी अपने विचार रखे.
सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन
दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति पीआरके नायडू ने सिंपोजियम के उद्देश्यों पर चर्चा की. इस सत्र को डॉ स्टेफी टेरेसा मुर्मू, डॉ आरके नीरद, डॉ कोइरेंग, डॉ बिक्रम जोरा ने भी संबोधित किया. तीसरे सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. पद्मश्री मुकुंद नायक ने अपना उदबोधन दिया. प्रो राजेश कुमार सिंह ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू कला केंद्र, रांची के द्वारा विष्णु वंदना, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा उरांव नृत्य, रुमबुल ग्रुप का मुंडारी नृत्य, दीनबंधु ठाकुर और उनके समूह के द्वारा पाइका नृत्य और डॉ महुआ मुखर्जी के द्वारा गौडिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी गयी. कार्यक्रम का समापन इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स की कार्यक्रम सहायक सुमेधा सेनगुप्ता के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया.