झारखंड में कोरोना के नाम पर निजी अस्पतालों ने आइसीयू का चार्ज दो हजार तक बढ़ाया
राज्य के निजी अस्पतालों ने कोरोना महामारी के इस संकट काल में आइसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) व एचडीयू (हाई डेपेनडेंसी यूनिट) चार्ज एक से दो हजार रुपये तक बढ़ा दिया है. यह सबकुछ सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने के नाम पर किया गया है. मरीज के इलाज पर होनेवाले खर्च में पीपीइ किट व मास्क का खर्च भी शामिल किया जा रहा है. इधर परिजन मरीज के बेहतर इलाज के लिए मजबूरीवश यह खर्च वहन कर रहे हैं.
कोरोना संकट : सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की दुहाई, पीपीइ किट व मास्क का खर्च भी जोड़ रहे हैं
रांची : राज्य के निजी अस्पतालों ने कोरोना महामारी के इस संकट काल में आइसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) व एचडीयू (हाई डेपेनडेंसी यूनिट) चार्ज एक से दो हजार रुपये तक बढ़ा दिया है. यह सबकुछ सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने के नाम पर किया गया है. मरीज के इलाज पर होनेवाले खर्च में पीपीइ किट व मास्क का खर्च भी शामिल किया जा रहा है. इधर परिजन मरीज के बेहतर इलाज के लिए मजबूरीवश यह खर्च वहन कर रहे हैं.
राजधानी के कई बड़े अस्पतालों में पहले जहां आइसीयू व एचडीयू चार्ज 3,500 रुपये था. वहीं अब इसे बढ़ा कर 5,500 रुपये कर दिया गया है. यह चार्ज नन कोविड व कोविड सस्पेक्टेड मरीज के लिए अलग-अलग है. गंभीर मरीज जो आइसीयू या एचडीयू में भर्ती है, लेकिन उसमें कोविड का कोई लक्षण नहीं है, तो उससे एक हजार रुपये लिये जाते हैं. वहीं मरीज अस्थमा या सीओपीडी से पीड़ित है, तो उससे दो हजार रुपये अतिरिक्त लिये जा रहे हैं.
अस्पतालों की दलील: अस्पतालों की दलील है कि आइसीयू व एचडीयू में दिन भर में एक से दो पीपीइ किट इस्तेमाल होता है. इस पर एक हजार रुपये खर्च होते हैं.
अगर मरीज ज्यादा गंभीर (अस्थमा, सीओपीडी या सांस की समस्या) है, तो उसके इलाज के दौरान चार से पांच किट का प्रयोग होता है. ऐसे में यह खर्च दो हजार रुपये हो जाता है. कुछ अस्पताल प्रबंधनों का कहना है कि हम किट के एमआरपी से कम पैसे ले रहे है. गौरतलब है कि पीपीइ किट की थोक कीमत सात से आठ सौ रु प्रति किट है. वहीं बड़ी संख्या में खरीदने पर यह कीमत और कम हो जाती है.
निजी अस्पतालों ने सरकार से मांगा था नि:शुल्क पीपीइ किट : निजी अस्पतालों का कहना है कि कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या व अस्पताल के संचालन को लेकर सरकार से नि:शुल्क पीपीइ किट उपलब्ध कराने को कहा था. अस्पताल एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ने पीपीइ किट नहीं उपलब्ध कराया है. ऐसे में खर्च तो बढ़ेगा ही.