रांची, मनोज लाल. एक वक्त था जब आधिकारिक रूप से अभिप्रमाणित जमीन का नक्शा लेने के लिए राज्य के कोने-कोने से लोग रांची स्थित बंदोबस्त कार्यालय पहुंचते थे. इस वजह से कार्यालय में हर वक्त भीड़ लगी रहती थी. लेकिन, मौजूदा समय में बहुत कम लोग यहां आते हैं. क्योंकि, राजधानी में खुलेआम नक्शा बेचने का गोरखधंधा चल रहा है. कचहरी के आसपास की दुकानों और अन्य जगहों पर यह नक्शा मात्र 100 से 150 रुपये में खुलेआम बिक रहा है. अगर डिमांड की जाये, तो इस डुप्लीकेट नक्शे पर बाकायदा सरकारी मुहर लगाकर अधिकारी के हस्ताक्षर भी कर दिये जाते हैं. चूंकि दुकान से लिये गये नक्शे और बंदोबस्त कार्यालय से अभिप्रमाणित नक्शे में अंतर करने की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है, इसलिए इसके धंधेबाज चांदी काट रहे हैं. जबकि, राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
बड़ी मशक्कत के बाद पटना से झारखंड का नक्शा मंगवाया
गौरतलब है कि झारखंड अलग राज्य बनने के वर्षों बाद तक राज्य का नक्शा बिहार के पास ही था. बड़ी मशक्कत के बाद राज्य सरकार ने पटना स्थित गर्दनीबाग से झारखंड का नक्शा मंगवाया था. ट्रक पर लादकर झारखंड का नक्शा लाया गया और इसे बंदोबस्त कार्यालय में रखा गया. यहां से एक निश्चित प्रक्रिया के तहत 200 रुपये शुल्क पर राज्य के लोगों को जरूरत के हिसाब से नक्शा उपलब्ध कराया जाता है. इस बीच उच्चाधिकारियों तक यह शिकायत पहुंची है कि कुछ संबंधित कर्मचारियों की संलिप्तता से रांची बंदोबस्त कार्यालय से राज्य भर की जमीन का नक्शा कॉपी करके चुरा लिया गया है. पेन ड्राइव के माध्यम से इसे बाहरी लोगों को बेच दिया गया है. लगभग सभी जगहों का नक्शा बंदोबस्त कार्यालय से बाहर चला गया है. लोग चाहें तो जेरोक्स की दुकानों और अन्य जगहों से पेन ड्राइव या प्रिंट आउट आसानी से हासिल कर लेते हैं.
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90 हजार नक्शे उपलब्ध हैं बंदोबस्त कार्यालय में
रांची बंदोबस्त कार्यालय में झारखंड राज्य के 90 हजार नक्शे मौजूद हैं. इनमें कैडस्ट्रल सर्वे के साथ रिवीजन सर्वे के नक्शे भी शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि बंदोबस्त कार्यालय में दुमका के 1885 के सर्वे और रांची के 1908 के सर्वे के भी नक्शे उपलब्ध हैं. इन नक्शों की अभिप्रमाणित प्रति लोगों को उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने बंदोबस्त कार्यालय में दो करोड़ रुपये की लागत वाली विशेष मशीन भी स्थापित की है.