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लंदन में बांग्ला थीम ‘सर्वोजोनेर’ पर बनेगा दुर्गोत्सव, षष्ठी से शुरू होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम

लंदन के हार्मेन्सवर्थ में आदिशक्ति यूके दुर्गोत्सव का आयोजन हो रहा है. 2017 से शुरू हुए दुर्गोत्सव का इस वर्ष छठा संस्करण है. आदिशक्ति यूके का दुर्गोत्सव बांग्ला, गुजराती और मारवाड़ी रीति-रिवाज के साथ मनेगा.

रांची: लंदन के हार्मेन्सवर्थ में आदिशक्ति यूके दुर्गोत्सव का आयोजन हो रहा है. 2017 से शुरू हुए दुर्गोत्सव का इस वर्ष छठा संस्करण है. इसे झारखंड, कोलकाता, गुजरात, जयपुर, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोग एकजुट होकर मना रहे हैं. आदिशक्ति यूके के अध्यक्ष पार्थ चौधरी ने बताया कि कोरोना काल के बाद लोगों का जुटान दुर्गोत्सव में होगा.

ऐसे में कमेटी के सदस्यों ने मिलकर दुर्गा पूजा का बांग्ला थीम ‘सर्वोजोनेर दुर्गोत्सव’ यानी सभी लोगों की दुर्गा पूजा तय किया है. पूजा अनुष्ठान के लिए मंडप ‘यूजली एंड वेस्ट ड्रेटन कम्युनिटी सेंटर’ में तैयार किया गया है. जहां आस-पास के सैकड़ों भारतीय मूल के श्रद्धालु शामिल होंगे.

कोल्न नदी के आशीर्वाद से शुरू होगी पूजा : 

आदिशक्ति यूके का दुर्गोत्सव बांग्ला, गुजराती और मारवाड़ी रीति-रिवाज के साथ मनेगा. इसकी शुरुआत टेम्स नदी की उप-नदी ‘कोल्न’ से आशीर्वाद लेने के बाद खुंटी पूजन के साथ शुरू हुई. 30 सितंबर को षष्ठी से मुख्य पूजा का अनुष्ठान यूजली एंड वेस्ट ड्रेटन कम्युनिटी सेंटर में तैयार मंडप परिसर में होगा. इसमें बतौर मुख्य अतिथि हिलिंगडन के मेयर ‘काउंसेलर बेकी हैगर’ पहुंचेंगे.

बांग्ला पारंपरिक सज्जा में होगी मां दुर्गा की प्रतिमा :  

इस वर्ष मंडप में कलश स्थापना के साथ दो प्रतिमाएं होंगी. मां दुर्गा की प्रतिमा पारंपरिक बांग्ला आर्ट ‘ढाकेर साज’ पर है. इसके साथ ही बड़ी प्रतिमा में मां दुर्गा को महिषासुर का वध करते हुए दिखाया जायेगा. इसके अलावा भगवान गणेश, कार्तिकेय, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र होंगी. इसके लिए कारीगर कोलकाता से खास तौर पर बुलाये गये थे.

षष्ठी से शुरू होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम :  

दुर्गोत्सव के दौरान आदिशक्ति यूके कमेटी के सदस्यों ने लोगों के मनोरंजन का खास इंतजाम किया है. सांस्कृतिक अनुष्ठान की तीन दिवसीय रूपरेखा तय की गयी है. षष्ठी के दिन डांडिया नाइट के साथ डीजे नाइट में लोगों को देर रात तक झुमाया जायेगा. एक अक्तूबर को सप्तमी की शाम विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इसके अलावा लोगों को अष्टमी पूजा के दिन संधि पूजा के महत्व की जानकारी दी जायेगी. दशमी के दिन विसर्जन से पूर्व पारंपरिक सिंदूर खेला का आयोजन होगा. इसमें पारंपरिक परिधान लाल-पाड़ साड़ी में महिलाएं और धोती-कुर्ता में पुरुष श्रद्धालु शामिल होंगे.

रिपोर्ट- अभिषेक रॉय

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