झारखंड की नौ दुर्गा-08: वर्षों से मां जगदंबा की सजीव प्रतिमा गढ़ रहीं हैं माधबी पाल
माधबी हमारे शहर की एकमात्र महिला मूर्तिकार हैं, जो पिछले दस वर्षों से मूर्तियां बना रही हैं. दरअसल मूर्तिकार बनने में इनकी ज्यादा रुचि नहीं थी, फिर भी उन्होंने बतौर मूर्तिकार अपनी पहचान बनायी है..क्यों? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..
Jharkhand News: अपने शहर की कोकर चूना भट्ठा निवासी माधबी पाल महिलाओं के लिए मिसाल हैं. माधबी हमारे शहर की एकमात्र महिला मूर्तिकार हैं, जो पिछले दस वर्षों से मूर्तियां बना रही हैं. इन्होंने बतौर मूर्तिकार अपनी पहचान बनायी है. दरअसल मूर्तिकार बनने में इनकी ज्यादा रुचि नहीं थी, लेकिन मजबूरियों के कारण मूर्तिकार बना पड़ा. पति स्व बाबूपाल शहर के प्रसिद्ध मूर्तिकार थे, जिनका 2012 में निधन हो गया. जिसके बाद माधबी अपने पति के काम को स्वरूप दे रही हैं. माधबी ने बताया कि वह अपने पति को काम करते देखती थीं, तो उनके काम को पूरा भी करना था. उस समय बच्चे छोटे थे. दो बच्चों की जिम्मेदारी भी माधबी के सर पर थी. विपरीत परिस्थितियों में भी अपने पति की किराये की दुकान को दो छोटे बच्चों की देखरेख करते हुए संभाला.
मां सरस्वती से लेकर, विश्वकर्मा पूजा, गणेश पूजा और दुर्गा पूजा तक की मूर्तियों का सारा सेट तैयार कर लेती हैं. कोलकाता की रहनेवाली हैं, तो मूर्तियों को बनाने का अंदाज भी अलग है. बंगाल की तर्ज पर मूर्तियों का निर्माण करती हैं. यहीं नहीं यहां बंगाल के कारीगर भी इनके निर्देशन में मूर्तियां तैयार करते हैं. मूर्तिकारों के कई परिवार इनके द्वारा दिये गये रोजगार से चल रहे हैं. माधबी कहती हैं कि महिलाओं के लिए बतौर मूर्तिकार काम करना आसान नहीं होता है. ऑफ सीजन का खर्च भी उठाना पड़ता है. लेकिन यह भी है कि महिलाएं चाहे तो काम कर सकती हैं.