रांची : पूजा पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं श्रद्धा का केंद्र होती हैं. लाखों रुपये खर्च कर कुशल कारीगरों द्वारा महीनों किये गये श्रम से मां की मनभावन मूर्तियां बनायी जाती हैं. राजधानी के बहुतेरे पंडालों में कोलकाता से लायी गयी मिट्टी का ही प्रयोग कर मूर्तिकार मां दुर्गा की छवि गढ़ते हैं. एक मूर्ति के निर्माण में औसतन दो से चार लाख रुपये तक खर्च किये गये हैं. खास बात यह है कि राजधानी के पूजा पंडालों में स्थापित मूर्तियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचानेवाली नहीं हैं. पहले मूर्तियां बनाने में पॉलिमर मिट्टी या पॉलीस्टाइनिन थर्मोकोल का इस्तेमाल किया जाता है. इससे विसर्जन के बाद पानी दूषित होता था. अब मूर्तियों के निर्माण में कृत्रिम मिट्टी समेत अन्य रसायनिक चीजों का प्रयोग करना बंद कर दिया गया है.
मां का दिव्य स्वरूप प्रदर्शित कर रही मूर्तियों के निर्माण में पूजा समितियों ने अनोखे प्रयोग भी किये हैं. हरमू रोड स्थित सत्य अमर लोक के पंडाल में मूर्ति रेशम की डोर का प्रयोग कर बनायी गयी है. मिट्टी से तैयार आकृति को रेशम के धागों का इस्तेमाल कर मां दुर्गा का रूप दिया गया है. मां के आभूषणों और शस्त्रों में भी रेशम का उपयोग किया गया है. भारतीय नवयुवक संघ द्वारा स्थापित की गयी मां की मूर्ति के आभूषणों सोने की पॉलिश कर भव्य बनाया गया है.
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रांची रेलवे स्टेशन में मां की मूर्ति को सादगी से परिपूर्ण बनाया गया है. मां की मोहक मूर्ति के सिर पर पल्लू है. उनको कोई जेवर नहीं पहनाया गया है. भारत मां की प्रचारित छवि से प्रेरित मां दुर्गा के हाथों शस्त्रों की जगह शंख, ग्लोब, कालदंड, गेंहूं की बाली आदि प्रदर्शित किया गया है. बांधगाड़ी दुर्गा पूजा समिति के पंडाल में बनायी गयी मूर्ति में कपड़े का इस्तेमाल नहीं किया गया है. मिट्टी पर ही रंगों का प्रयोग कर मां को आकर्षक रूप दिया गया है.
ओसीसी कंपाउंड में चटक रंगों का उपयोग कर मूर्तियों को स्वरूप प्रदान किया गया है. रंगोली थीम पर बनायी गयी मां की मूर्ति रोशनी पड़ने पर आकर्षक नजर आ रही है. रातू रोड स्थित आरआर स्पोर्टिंग क्लब के पंडाल में बाहुबली थीम पर मां की प्रतिमा विराजित की गयी है. हरमू पंचमंदिर स्थित पूजा पंडाल में राक्षस का संहार करने के लिए मां को अवतरित होता दर्शाया गया है. इस वजह से माता के केश हवा में उड़ते नजर आती हैं.