पहले अपराधियों को पकड़ना था काम, अब कोरोना संक्रमण रोकने की भी है जिम्मेदारी
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पुलिस का काम काफी हद तक बदल चुका है. इसी तरह खुद को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने अपने काम के तरीके में भी काफी हद तक बदलाव किया है. जहां पहले पुलिस रोजाना केस डिस्पोजल, क्राइम कंट्रोल के लिए गश्ती, अपराधियों की तलाश में छापेमारी और वारंट के निष्पादन के अलावा जांच सहित अन्य काम करती थी, वहीं अब वह कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भी काम कर रही है.
रांची : कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पुलिस का काम काफी हद तक बदल चुका है. इसी तरह खुद को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने अपने काम के तरीके में भी काफी हद तक बदलाव किया है. जहां पहले पुलिस रोजाना केस डिस्पोजल, क्राइम कंट्रोल के लिए गश्ती, अपराधियों की तलाश में छापेमारी और वारंट के निष्पादन के अलावा जांच सहित अन्य काम करती थी, वहीं अब वह कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए भी काम कर रही है. ट्रैफिक पुलिस भी इसलिए जुर्माना कर रही है ताकि लोग अपने घरों में रहें और बेवजह सड़क पर निकलकर ट्रैफिक नियम का उल्लंघन कर वाहन नहीं चलायें.
जहां पहले क्राइम होने पर डीएसपी के नेतृत्व में टीम बनायी जाती थी, वहीं अब डीएसपी के नेतृत्व में कोरोना संक्रमित की मेडिकल जांच, कांटेक्ट ट्रेसिंग और इलाज के लिए उन्हें अस्पताल भेजने के लिए अलग-अलग टीम गठित है. पहले पुलिस क्राइम कंट्रोल के लिए विश्लेषण कर डाटा तैयार करती थी, वहीं अब वह यह डाटा भी तैयार करने लगी है कि कितने लोगों को भोजन कराया गया और कितने लोगों को दवा पहुंचायी गयी. इतना ही नहीं पुलिस को अब यह भी रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है कि कितने पुलिसकर्मी स्वस्थ हैं और कितने कोरेंटाइन में. वर्तमान में पुलिस को कई शिकायत ट्विटर के जरिये मिल रही है, जिसका निबटारा भी पुलिस कर रही है.
कैसे बदला पुलिस का काम और क्या है प्राथमिकताएं
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सुबह-सुबह रोजाना अब पुलिस अधिकारी ट्विटर देखते हैं.इसमें जो शिकायतें मिलती है, उसे संबंधित पुलिस अधिकारियों के पास जांच के लिए भेज दिया जाता है.
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सुबह 10 बजे से लेकर दिन के एक बजे तक सामुदायिक किचन के जरिये गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था करना और लोगों तक इसे पहुंचाने का काम.
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शाम और रात को कोरोना संक्रमण से संबंधित किसी इलाके की रिपोर्ट आने के बाद उस इलाके में बैरिकेडिंग और सील करने की कार्रवाई में जुटना. इसके बाद संक्रमित के कांटेक्ट ट्रेसिंग के बारे में जानकारी एकत्र करना.
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लॉकडाउन में फंसे वृद्ध महिला और पुरुष द्वारा डॉयल 100 में फोन कर दवा या अन्य सामान मांगे जाने पर दवा और अन्य सामग्री खरीदकर उनके घरों तक पहुंचाना.
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वृद्ध या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित महिला और पुरुष के इलाज के लिए अस्पताल जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करना.
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बाहर से आने वाले मजदूरों और विद्यार्थियों को सुरक्षित पहुंचाने के लिए वाहन की व्यवस्था करना. किसी को जांच की जरूरत पड़ने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाना.
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रांची में फंसे बाहर के मजदूरों को उनके घर भेजने से पहले पारस अस्पताल ले जाकर उनके स्वास्थ्य की जांच कराना और इसका डाटा तैयार करना. काम करने के तरीके में क्या हुआ है बदलाव
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वर्तमान में पुलिस अधिकारी किसी मामले में ई-मेल के जरिये ही जवाब तैयार कर सीनियर पुलिस अधिकारियों के पास भेज रहे हैं.
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– सीनियर पुलिस अधिकारी वर्तमान में डाक से आने वाले चिट्टी का जवाब भी ई-मेल के जरिये बनाकर भेज रहे हैं और डाक भी ई-मेल के जरिये देख रहे हैं.
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व्हाट्सएप के जरिये अधिकांश पुलिस अधिकारी एक दूसरे को निर्देश दे रहे हैं. इसके अलावा महत्वपूर्ण दस्तावेज का पीडीएफ तैयार कर व्हाट्सएप पर भेज दे रहे हैं.
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रीडर द्वारा किसी महत्वपूर्ण फाइल लेकर आने पर इसे देखने के बाद खुद को सेनिटाइज करने के बाद ही दूसरी फाइल देखना.