Jharkhand News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दस्तावेज में जालसाजी कर सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद-बिक्री करने के मामले में कोलकाता के व्यापारी अमित अग्रवाल और जगतबंधु टी स्टेट के डायरेक्टर दिलीप घोष को बुधवार की रात गिरफ्तार कर लिया. दोनों को रांची स्थित ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया. अमित अग्रवाल और दिलीप घोष को गुरुवार को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया जायेगा. साथ ही आगे की पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने का अनुरोध किया जायेगा. इसी मामले में रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, कर्मचारी भानु प्रताप के अलावा कई जमीन कारोबारियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
ईडी ने पूछताछ के बाद किया गिरफ्तार
ईडी ने सेना के कब्जेवाली जमीन की खरीद बिक्री की जांच के दौरान अमित अग्रवाल और दिलीप घोष को पूछताछ के लिए बुलाया था. इस समन के आलोक में दोनों बुधवार को ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में हाजिर हुए. पूछताछ के बाद इनकी गिरफ्तारी हुई. सेना के कब्जेवाली ज़मीन अमित अग्रवाल की कंपनी जगत बंधु टी स्टेट ने खरीदी है. अमित अग्रवाल को इडी ने राजीव कैश कांड में भी गिरफ्तार किया था. कैश कांड के इस मामले में वह जमानत पर हैं.
सेना के कब्जेवाली जमीन खरीद-बिक्री का मामला
ईडी ने सेना के कब्जेवाली जमीन के मामले में जांच के दौरान यह पाया कि मौजा मोरहाबादी, थाना नंबर 192, वार्ड नंबर 21 के एमएस प्लॉट नंबर 557 की 4.55 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री के लिए अमित अग्रवाल व अन्य ने रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन के साथ मिल कर साजिश रची. इस डील के लिए छवि रंजन को एक करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. सुनियोजित साजिश के तहत कोलकाता स्थित रजिस्ट्री कार्यालय में इस जमीन से संबंधित मूल दस्तावेज में जालसाजी कर प्रदीप बागची के पिता को जमीन का मालिक बनाया गया. इसके बाद यह जमीन अमित अग्रवाल से जुड़ी कंपनी जगत बंधु टी स्टेट को सिर्फ सात करोड़ रुपये में बेच दी गयी. जांच में पाया गया कि सेल डीड में वर्णित सात करोड़ रुपये के बदले सिर्फ 25 लाख रुपये ही प्रदीप बागची को दिये गये थे. बाकी 6.75 करोड़ रुपये का भुगतान ही नहीं किया गया. सरकारी दर पर जमीन की कीमत 20 करोड़ रुपये आंकी गयी है. प्रदीप बागची को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.
ईडी ने दस्तावेज की फॉरेंसिंक जांच करायी थी
ईडी ने मामले की जांच के दौरान सेना के कब्जेवाली जमीन से संबंधित दस्तावेज जब्त कर न्यायालय के आदेशानुसार फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे थे. फॉरेंसिक जांच में दस्तावेज में छेड़छाड़ करने की पुष्टि की जा चुकी है. सेना के कब्जेवाली जमीन की जांच के लिए इडी ने नगर निगम द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर होल्डिंग नंबर लेने के आरोप में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी को आधार बनाया था. निगम ने इस मामले में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की जांच रिपोर्ट में मिले तथ्यों को आधार बनाया था. प्रमंडलीय आयुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट में प्रदीप बागची द्वारा फर्जी दस्तावेज के सहारे नगर निगम से होल्डिंग नंबर लेने का उल्लेख किया था. इस प्रकरण की सबसे मजेदार बात यह है कि प्रमंडलीय आयुक्त ने प्रदीप बागची द्वारा की गयी एक शिकायत के आलोक में मामले की जांच शुरू की थी. बागची ने यह आरोप लगाया था कि कुछ लोग फर्जी दस्तावेज के सहारे सेना के कब्जेवाली ज़मीन की खरीद बिक्री कर रहे हैं. प्रमंडलीय आयुक्त की जांच में प्रदीप बागची भी जालसाजी में लिप्त पाया गया था.
ऐसे हुई गिरफ्तारी
ईडी ने बुधवार को अमित अग्रवाल के कोलकाता स्थित दो ठिकानों पर दबिश दी थी. इसी क्रम में पता चला कि वह बागडोगरा में है. इडी ने उससे रांची में उपस्थित होने को कहा, तो उसने पहले कहा : मेरी फ्लाइट मिस हो गयी है. चेतावनी देेने पर वह दूसरी फ्लाइट से रांची पहुंचा.
इस मामले में अब तक ये हो चुकी है गिरफ्तार
– छवि रंजन
– आबिद खान
– इम्तियाज अहमद
– प्रदीप बागची
– सद्दाम हुसैन
– तलहा खान
– भानु प्रताप
– फैयाज खान
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