CBI जांच के लिए ED पहुंचा हाईकोर्ट, राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

ED News: प्रवर्तन निदेशालय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि मनी लाउंड्रिंग के आरोपी अफसरों और नेताओं के खिलाफ सीबीआई जांच हो. वहीं ईडी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाए कि सरकार से सूचना शेयर करने के बाद भी सरकार ने अफसरों और नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

By Kunal Kishore | November 6, 2024 1:08 PM

ED News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी अफसरों और नेताओं के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि इडी ने मनी लाउंड्रिंग की जांच के दौरान मिले तथ्यों को पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत राज्य सरकार के साथ साझा किया था. लेकिन, राज्य सरकार ने इन अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बदले ईडी के अफसरों के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करायी. इसमें राज्य के विधि पदाधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसलिए ईडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के आलोक में प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी जाये.

मुख्य सचिव, डीजीपी समेत कई को बनाया गया प्रतिवादी

ईडी बनाम राज्य सरकार के इस मामले में मुख्य सचिव, डीजीपी, एसीबी के डीजी और सीबीआइ को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिका में ईडी की ओर से पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत साझा की गयी सूचनाओं की कॉपी भी संलग्न की गयी है. इसमें पूजा सिंघल, बीरेंद्र राम, राजीव अरुण एक्का, छवि रंजन, संजीव लाल, विष्णु अग्रवाल, योगेंद्र तिवारी, आलमगीर आलम, पंकज मिश्रा सहित अन्य लोगों से जुड़े मामले शामिल हैं.

याचिका में क्या कहा ईडी ने

ईडी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि विजय मदन लाल चौधरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के आलोक में ईडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के आधार पर संबंधित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच करना जरूरी है. लेकिन, राज्य सरकार ने ईडी द्वारा साझा की गयी सूचनाओं के आलोक में प्राथमिकी दर्ज नहीं की.

सूचनाएं साझा करने के बावजूद राज्य सरकार ने नहीं करायी जांच

ईडी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि ईडी ने पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत मनरेगा घोटाला, अवैध खनन, ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार, जमीन घोटाला, टेंडर घोटाला, लघु उद्योगों को कोल लिंकेज आवंटन में भ्रष्टाचार, बालू और शराब के अवैध कारोबार से संबंधित सूचनाएं राज्य सरकार के साथ साझा की थीं. लेकिन, राज्य सरकार ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच नहीं की. राजस्व से जुड़े अधिकारी के घर से मिले दस्तावेज और उसमें की गयी छेड़छाड़ से संबंधित सूचनाएं भी साझा की गयी थीं. इस मामले में सदर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. लेकिन, उसमें भी आइपीसी की धारा-120बी को जोड़ने के बाद उसे पेन से काट दिया गया था.

ईडी ने राज्य सरकार पर जांच में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया

याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने ईडी की ओर से मिली सूचनाओं के आलोक में कार्रवाई करने के बदले जांच में बाधा पहुंचायी. राज्य सरकार के प्रधान सचिव की ओर से एक आदेश जारी कर अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया कि वे बिना सरकार की अनुमति के किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा जारी किये गये समन के आलोक में हाजिर नहीं हों. राज्य सरकार ने ईडी के अधिकारियों के खिलाफ झूठे आरोपों में प्राथमिकी दर्ज करायी. ईडी के खिलाफ दायर एक मामले में अवैध खनन के एक ने थाने में दर्ज प्राथमिकी की जांच सीबीआइ से कराने की याचिका दायर की. लेकिन, बाद में याचिका दायर करनेवाले ने ही अपनी याचिका वापस लेने के लिए आइए दायर किया. न्यायालय ने सुनवाई के बाद इस मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया. बाद में यह तथ्य उजागर हुआ कि इस मामले में राज्य के कुछ वरीय अधिकारियों और विधि पदाधिकारियों ने इसमें उसकी मदद की.

ईडी ने सीबीआई जांच कराने की मांग की

राज्य के एक वरीय विधि पदाधिकारी द्वारा मनी लाउंड्रिंग के अभियुक्तों को मदद पहुंचाने की बात भी सामने आयी है. राज्य सरकार ने ईडी के अधिकारियों को सुरक्षा देनेवाले केंद्रीय बलों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करायी. याचिका में न्यायालय से यह अनुरोध किया गया है कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आदेश दें.

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