रांची : इडी का दूसरा समन मिलने पर मंगलवार को दिन के 11:10 बजे ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव और वरीय आइएएस अफसर मनीष रंजन हिनू स्थित प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे. थोड़ी देर बाद इडी के अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की.
क्या पूछा ईडी ने
IAS मनीष रंजन से सबसे पहले उनसे उनकी और उनके पारिवारिक सदस्यों का ब्योरा, उनकी आमदनी और संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी गयी. पूछताछ के दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया. उन्होंने खुद को एक ईमानदार अफसर बताया. उन्होंने कहा कि वह गलती करनेवाले कर्मचारियों व पदाधिकारियों को नहीं छोड़ते.
मंत्री आलमगीर आलम के साथ संबंध में उलझे अफसर
हालांकि मंत्री आलमगीर आलम के साथ जब उनके संबंधों के बारे में पूछा गया तो वह उलझ गये. इडी की ओर से उन्हें इन सूचनाओं से संबंधित एक फाॅर्म दिया गया और सारी सूचनाएं लिखित रूप से देने का निर्देश दिया गया. देर शाम समाचार लिखे जाने तक उनसे पूछताछ जारी थी. गिरफ्तार चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम द्वारा की गयी सूचनाओं के आधार पर जब उनसे सवाल पूछे गये तो उन्होंने कहा कि वह निर्दोष हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विभाग में जारी कमीशनखोरी के मामले की आंशिक जानकारी होने और ऐसे लोगों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने की बात कही. विभागीय मंत्री के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने अपना संबंध सिर्फ विभागीय कामकाज तक ही होने की बात स्वीकार की. हालांकि कुछ सवालों में वह उलझ गये और चुप्पी साध ली. आपको बता दें कि मनीष रंजन को कमीशनखोरी के मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था. इस मामले में ग्रामीण विकास मंत्री मंत्री आलमगीर आलम, पीएस संजीव लाल और संजीव लाल के सहायक जहांगीर को गिरफ्तार किया गया है. 7 मई को संजीव लाल और जहांगीर के ठिकानों से ईडी ने 35 करोड़ से अधिक की राशि जब्त की थी.