रांची, प्रणव : हजारीबाग में एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण में करीब 3000 करोड़ रुपये के अनुमानित जमीन मुआवजा घोटाला मामले में इडी के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के असिस्टेंट डायरेक्टर देवव्रत झा की ओर से झारखंड हाइकोर्ट में हलफनामा दायर किया गया है. इसमें यह कहा गया है कि इस सिलसिले में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में लगायी गयी धाराएं इडी के शिड्यूल ऑफेंस की सूची में शामिल हैं. इसलिए इडी पीएमएलए के तहत जांच कर सकता है.
मुआवजा घोटाले के मामले में सीबीआइ या इडी से जांच कराने को लेकर एक जनहित याचिका हाइकोर्ट में दायर की गयी है. याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने इडी, सीबीआइ और राज्य सरकार को नोटिस देकर से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसके बाद इडी ने न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर मामले में जांच करने पर अपनी सहमति दी है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने एनटीपीसी के भूमि घोटाले की जांच के लिए देबाशीष गुप्ता (सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी) की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआइटी) बनाया था. एसआइटी के दो अन्य सदस्यों में एक सेवानिवृत्त जिला व सत्र न्यायाधीश और सेवानिवृत्त या वर्तमान संयुक्त सचिव शामिल थे. रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेज के आधार पर एनटीपीसी से मुआवजा लेने का उल्लेख किया गया था. साथ ही मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने की अनुशंसा की गयी थी. लेकिन, उच्चस्तरीय जांच की अनुशंसा के बदले सरकार ने स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी थी.
केरेडारी के हल्का कर्मचारी की शिकायत पर दर्ज की गयी थी प्राथमिकी : हलफनामे में कहा गया है कि राजस्व विभाग द्वारा एमडी, एनटीपीसी को दिनांक 10 अप्रैल 2017 को पकरी बरवाडीह, चट्टी-बरियातू व केरेडारी में एनटीपीसी सीमित परियोजनाओं के लिए सरकारी भूमि के अवैध अधिग्रहण व मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं से संबंधित पत्र जारी किया गया था. केरेडारी प्रखंड के हल्का कर्मचारी की शिकायत के आधार पर आइपीसी की धारा 467, 468, 471, 420, 406 और 120 बी के तहत केरेडारी थाना में प्राथमिकी संख्या 44/2016 दर्ज की गयी थी. इसमे कुछ सरकारी जमीन (गैरमजरुआ जमीन) पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया है.
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ग्राम पांडु, जिला हजारीबाग में सरकारी अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर एनटीपीसी से धोखाधड़ी की गयी. यह उल्लेख करना उचित है कि पीएमएलए के तहत जांच शुरू करने के लिए यह एक शर्त है कि कानून प्रवर्तन एजेंसी (एलइए) द्वारा पंजीकृत अपराध में पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (1) (यू) के तहत परिभाषित अनुसूचित अपराध से अपराध की एफआइआर में उल्लेखित अपराधों में से धारा 467, 471, 420 व 120 बी है. पीएमएलए, 2002 की अनुसूची के भाग-ए के तहत अनुसूचित अपराध है. मामले को लेकर हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी.