रांची: साहिबगंज में 1000 करोड़ के अवैध खनन घोटाले के दावे को गलत बताते हुए राज्य सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय(इडी) को पत्र लिखा है. सरकार की ओर से भेजे गये इस पत्र में इडी के दावों को गलत साबित करने के लिए वैध खनन, राजस्व और परिवहन की उपलब्ध सुविधा के आंकड़ों की मदद ली गयी है. हालांकि, ईडी ने इसे अस्वीकार कर दिया है.
ईडी ने जांच के दौरान साहिबगंज जिले में 1000 करोड़ रुपये का अवैध खनन होने का दावा किया था, जबकि सरकार की ओर से भेजे गये पत्र में इडी के दावों को गलत साबित करने के लिए सभी आंकड़े 1000 करोड़ रुपये के ‘राजस्व के नुकसान’ को आधार मान कर तैयार किये गये हैं. पत्र में कहा गया कि खनन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो साल में राज्य में नौ करोड़ मीट्रिक टन पत्थर निकाला गया. इसमें 60% बोल्डर, 35% चिप्स, 5% डस्ट और 20% अन्य चीजें होती हैं. सरकार को बोल्डर पर 95 रु/ एमटी, चिप्स पर 175 रु/एमटी और स्टोन डस्ट पर 18 रु/मीट्रिक टन रॉयल्टी मिलती है.
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पत्थर खनन से मिलनेवाली रॉयल्टी का 20% साहिबगंज जिले से मिलता है. ईडी की ओर से यह दावा किया गया है कि साहिबगंज जिले में 1000 करोड़ रुपये का अवैध खनन हुआ है. इडी का यह दावा सही नहीं है.
राज्य सरकार की ओर से इडी को भेजे गये पत्र में कहा गया है :
अगर ईडी के अनुमान को सही मान लिया जाये, तो सिर्फ साहिबगंज जिले में दो साल के अंदर आठ करोड़ एचटी पत्थर का अवैध खनन होना चाहिए था. यह साहिबगंज में होनेवाले वैध खनन का करीब चार गुना है. अवैध खनन से निकाले गये आठ करोड़ एमटी पत्थर की ढुलाई के लिए जिले में आवश्यक परिवहन सुविधा नहीं है. एक रैक की क्षमता 4000 एमटी और एक ट्रक की क्षमता 25 एमटी पत्थर ढोने की होती है.
ढुलाई की क्षमता के अनुसार आठ करोड़ एमटी पत्थर को ढोने के लिए 20,000 रैक या 33 लाख ट्रकों की जरूरत होती. इडी के अनुसार, दो साल में 6500 रैक से पत्थर की ढुलाई की गयी है. अगर सभी रैक के सहारे अवैध खनन के पत्थर ढोये गये होते, तो भी आठ करोड़ एमटी पत्थर की ढुलाई संभव नहीं है. दो साल में आठ करोड़ एमटी पत्थर ढोने के लिए प्रतिदिन 4500 ट्रकों की जरूरत होती, लेकिन इसके मुकाबले जिले में सिर्फ 800 ट्रक ही निबंधित हैं. इसलिए साहिबगंज में इडी द्वारा अवैध खनन के मामले में किया गया दावा सही नहीं है.