रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के खिलाफ जांच में मिली सूचनाएं राज्य सरकार के साथ साझा की हैं. ईडी ने सरकार के साथ साझा की गयी सूचनाओं में बीरेंद्र राम, उनकी पत्नी राजकुमारी, पिता गेंदा राम और चचेरे भाई अलोक रंजन के खिलाफ दायर आरोप पत्र की कॉपी के अलावा अस्थायी रूप से संपत्ति जब्त करने संबंधित आदेश की कॉपी भी शामिल है. ईडी की ओर से इन दस्तावेज के साथ राज्य सरकार को भेजे गये पत्र में मदन लाल चौधरी बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले का हवाला देते हुए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है.
सरकार से कार्रवाई करने का किया अनुरोध
ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत सूचना साझा करने का यह तीसरा मामला है. ईडी ने नवंबर 2022 में मारेगा घोटाले की जांच के बाद पूजा सिंघल व अन्य के खिलाफ जांच में मिले तथ्यों को साझा करते हुए राज्य सरकार से कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. इस मामले में विधि विभाग और राज्य के महाधिवक्ता ने पूजा सिंघल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने पर सहमति दे दी है. फिलहाल यह मामला अंतिम निर्णय के लिए सरकार के स्तर पर विचाराधीन है. ईडी ने दूसरी बार करीब दो दिन पहले जमीन घोटाले की जांच के दौरान मिले तथ्यों को सरकार के साथ साझा किया था. ईडी की ओर से राज्य सरकार के साथ सूचना साझा करने की तीसरा मामला बीरेंद्र राम से जुड़ा है.
ईडी ने बीरेंद्र राम की काली कमाई के बारे में सरकार को बताया
ईडी ने सोमवार को बीरेंद्र राम के मामले में जांच के दौरान मिले तथ्यों को सरकार के साथ साझा किया. इसमें बीरेंद्र राम द्वारा टेंडर में कमीशन लेने का उल्लेख किया गया है. साथ ही बीरेंद्र राम द्वारा अपनी काली कमाई को जायज करार करने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाये जाने का उल्लेख किया गया है. इसमें कहा गया है कि बीरेंद्र राम ने अपनी काली कमाई को लाउंड्रिंग के सहारे जायज करार देने की की कोशिश की. इससे संपत्ति अर्जित की. अपनी वार्षिक जायज आमदनी से ज्यादा एक महीने में घरेलू खर्चे पर उड़ाया. बेटे को विदेश में पढ़ाने पर 1.25 करोड़ रुपये खर्च किये. नाजायज आमदनी को बेटों द्वारा सब्जी आदि बेच कर कमायी गयी रकम साबित करने की कोशिश की. इसके अलावा दिल्ली के सीए मुकेश मित्तल का सहारा लेकर अपनी काली कमाई को जायज करार देने कि कोशिश की. इस क्रम में फर्जी पैन के सहारे कंपनियां बनायी गयीं और बीरेंद्र राम की काली कमाई को इन्हीं कंपनियों के सहारे लाउंड्रिंग कर अपने और अपने पारिवारिक सदस्यों के खाते में एंट्री दिलायी.