विशेष संवाददाता(रांची). प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की टीम ने सोमवार सुबह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के सरकारी आप्त सचिव संजीव लाल और मंत्री के निजी सहायक (बाह्य) जहांगीर समेत अन्य के ठिकानों पर छापा मारा. छापामारी में जहांगीर के घर से भारी मात्रा में नगदी जब्त की है. ये नगद रुपये कूट के डिब्बों, पॉलिथीन और कपड़े की थैलियों में भर कर रखे हुए थे. जहांगीर के यहां से 31.20 करोड़ रुपये बरामद किये गये हैं. इसके साथ ही इडी ने संजीव लाल के करीबी बिल्डर मुन्ना सिंह के घर से 2.93 करोड़ रुपये नकद जब्त किये हैं. संजीव लाल के ठिकानों से दस्तावेज के साथ ही 10 लाख रुपये नकद मिलने की सूचना है. अफसरों के तबादले से जुड़ी सूची भी मिली है, जिसके लिये नेताओंं द्वारा पैरवी की गयी है. दो साल पहले ठीक इसी दिन छह मई 2022 को इडी ने मनरेगा घोटाले में आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल और अन्य के ठिकानों पर छापा मारा था. इसी क्रम में सीए सुमन कुमार के ठिकानों से 17.79 करोड़ रुपये नगद जब्त किये गये थे. इस बीच खबर है कि इडी किसी भी समय मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल और सहायक जहांगीर आलम को गिरफ्तार कर सकती है. छापेमारी में बरामद रुपयों का संबंध आप्त सचिव संजीव लाल से है. साथ ही इसमें मंत्री आलमगीर भी संदेह के दायरे में हैं. छापेमारी में जब्त रुपये योजनाओं को लागू करने के दौरान कमीशन के रूप में वसूले गये हैं. इडी द्वारा वर्ष 2023 में ग्रामीण विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता बीरेंद्र राम को गिरफ्तार किये जाने के बावजूद विभाग में कमीशनखोरी जारी रही. इधर, इडी के अपर निदेशक कपिल राज सोमवार दोपहर में रांची पहुंचे. वे जहांगीर के घर गये, जहां बरामद नोटों की गिनती हो रही है. इसके अलावा वे छापामारी में शामिल किये गये अन्य ठिकानों का भी जायजा ले रहे हैं. इडी ने ग्रामीण विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता बीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद विभाग में जारी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की जांच जारी रखी. करीब एक साल तक विभिन्न बिंदुओं पर जांच के बाद इडी की टीम ने सोमवार सुबह करीब 6:30 बजे संजीव लाल और उससे संबंधित पांच लोगों के ठिकानों पर छापा मारा. छापेमारी के दायरे में शामिल किये गये लोगों में संजीव लाल के अलावा मंत्री के सहायक जहांगीर, इंजीनियर कुलदीप मिंज, इंजीनियर विकास कुमार और बिल्डर मुन्ना सिंह का नाम शामिल है. सबसे ज्यादा नगदी मंत्री आलमगीर के सहायक जहांगीर के घर से मिली है. वह हरमू रोड के सर सैयद रेसिडेंसी के ब्लॉक-बी के फ्लैट नंबर-1ए में रहता है. इडी ने उसके घर से मिले नोटों की गिनती के लिए बैंकों से मशीन मंगायी और बैंक अधिकारियों की मदद ली. समाचार लिखे जाने तक नोटों की गिनती जारी है और इसे रात तक जारी रहने की संभावना जतायी जा रही है. नौकर के ठिकानों से मिली नगदी के 30 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है.
सीएस के नाम की चिट्ठी भी मिली :
सर सैयद रेसिडेंसी का यह फ्लैट जहांगीर के ही नाम पर है. इडी इसे संजीव लाल की बेनामी संपत्ति मान रही है. जहांगीर के ठिकाने से सरकारी दस्तावेज भी मिले हैं. इन्हीं सरकारी दस्तावेज के आलोक में इस मामले में मंत्री की भूमिका संदेहास्पद मानी जा रही है. सूचना है कि इडी ने राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था, जिसमें विभाग के अफसरों पर प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया था. इस आशय का पत्र भी जहांगीर के ठिकाने से इडी को मिला.दो और मंत्रियों के आप्त सचिव रह चुके हैं संजीव लाल :
संजीव लाल पिछले 10-12 वर्षों से किसी न किसी मंत्री के आप्त सचिव के रूप में काम करता रहा है. आलमगीर आलम से पहले वह तत्कालीन मंत्री सीपी सिंह और बिमला प्रधान का भी आप्त सचिव रह चुका है. छापेमारी के दौरान संजीव लाल से हुई पूछताछ में बिल्डर मुन्ना सिंह के घर पर पैसा होने की जानकारी मिली. इसके बाद इडी ने मुन्ना सिंह को बुला कर उसके फ्लैट की तलाशी ली और नगद राशि (तीन करोड़) जब्त की. बिल्डर के घर से मिली राशि भी मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल की बतायी जा रही है. छापेमारी के दायरे में शामिल इंजीनियरों के ठिकानों से टेंडर निबटारे से संबंधित दस्तावेज मिले हैं. विकास कुमार फिलहाल गुमला में ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यपालक अभियंता के पद पर पदस्थापित है.बीरेंद्र राम के ठिकानों से मिले थे कमीशनखोरी के सबूत :
उल्लेखनीय है कि इडी ने वर्ष 2023 में इंजीनियर बीरेंद्र राम के ठिकानों पर छापा मारा था. उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी के दौरान विभाग में जारी कमीशनखोरी से संबंधित दस्तावेज मिले थे. जांच के दौरान विकास योजनाओं में कमीशन लिये जाने से संबंधित सबूत मिले थे. जांच में यह भी पाया गया था कि बीरेंद्र राम के एक महीने का घरेलू खर्च उसके एक साल के वेतन से अधिक था. बीरेंद्र राम का बेटा 300-400 रुपये प्रति लीटर कीमत का मिनरल वाटर पीता था और महंगे कपड़े एक बार पहन कर फेंक देता था.आलमगीर के बेटे तनवीर से भी जुड़े हैं जहांगीर के तार :
इडी की छापेमारी में एक चौकानेवाला नाम सामने आया है ‘जहांगीर’. जिस फ्लैट में यह रहता था, वहीं से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं. इस पूरे मामले में ‘पैसों के रखवाला’ जहांगीर एक महत्वपूर्ण कड़ी है. घोटाले और पैसे के तार इसी से जुड़े हैं. जहांगीर के बारे में सूत्र बता रहे हैं कि वह मंत्री आलमगीर आलम के पुत्र तनवीर आलम के ससुराल का रहनेवाला है. दिल्ली से पढ़ाई कर लौटने के बाद तनवीर आलम ने राजधानी में मिनरल वाटर का प्लांट खोला. जहांगीर इस प्लांट से कुछ दिनों तक जुड़ा रहा. आलमगीर मंत्री बने, तो जहांगीर को गैरसरकारी सहायक बनाया गया. वह मंत्री के आवास पर ही काम करता है. बाद में उसे मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल के साथ जुड़ कर काम करने को कहा गया. ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर टेंडर मैनेज करने के काम में आप्त संजीव लाल की भूमिका रहती थी. तनवीर आलम की भी विभाग में खूब चलती है. इधर, संजीव लाल के पास पहुंचनेवाले पैसे के हिसाब-किताब और निगरानी के लिए जहांगीर को लगाया गया था.संजीव का रसूख बढ़ा, तो जहांगीर का दखल :
मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल का हाल के दिनों में रसूख खूब बढ़ा. महंगी गाड़ियों से घूमने का शौक है. सूचना है कि वह राजधानी में एक आलीशान मकान भी बनवा रहा है. संजीव को मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव के रूप में जगह भी तनवीर आलम के कारण मिली. पहले वह नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के साथ जुड़ा था. सीपी सिंह से जुड़े होने के कारण शुरू में मंत्री आलम के साथ काम करने को लेकर कुछ लोगों ने विरोध भी जताया था, लेकिन बाद में इसने अपनी गोटी मंत्री के पास सेट कर ली.चपरासी के तबादले में भी संजीव की दखल :
झाप्रसे के अधिकारी संजीव कुमार लाल फिलहाल ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के सरकारी निजी सहायक हैं. इससे पहले वह दो-दो मंत्रियों के सहायक रह चुके हैं. वहीं, रांची में अंचलाधिकारी और कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर भी कार्यरत रहे हैं. मूल रूप से खूंटी के रहनेवाले संजीव की विभाग में अच्छी धाक थी. एक-एक टेंडर उनकी नजर से गुजरता था. छोटी-मोटी खरीद से लेकर अधिकारियों के पदस्थापन और तबादले पर उनकी नजर रहती थी. इसे लेकर कई बार विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ संजीव की कहा-सुनी भी हुई थी. वह छोटे-छोटे काम में भी हस्तक्षेप करते थे. उनकी इच्छा के बगैर अधिकारी एक चपरासी तक का तबादला भी नहीं कर सकते थे. कई बार तो चपरासियों का तबादला रोकने के लिए अधिकारियों को मजबूर किया गया था. संजीव के कामकाज को लेकर कई बार अधिकारियों ने विभागीय मंत्री से शिकायत भी की थी.अनुभव देख कर पीए रखा था, मुझे कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं :
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि संजीव लाल सरकारी मुलाजिम है. वह मेरा आप्त सचिव भी है. आमतौर पर मंत्री अनुभव देख कर ही आप्त सचिव रखते हैं. मैंने भी अनुभव देख कर ही उसे नियुक्त किया था. मेरे पहले भी वह दो-दो मंंत्रियों के साथ काम कर चुका है. फिलहाल, इडी की जांच चल रही है. मेरे पास भी वही सूचना है, जो सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर चल रही है. इसके अलावा मेरे पास कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं है. इडी की जांच का निष्कर्ष सामने आने बाद ही कुछ भी कह सकता हूं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है