झारखंड: ED ने दिया वंदना डाडेल को दो टूक जवाब, ‘हमें केंद्र से शक्तियां मिलीं, आपको कारण जानने का हक नहीं’

जांच अधिकारी ने पीएमएलए द्वारा दी गयी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संबंधित व्यक्तियों के समन भेजा है. आपको इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 18, 2024 4:05 AM

रांची : केंद्र सरकार ने कानून बना कर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच अधिकारी को कानूनी शक्तियां दी हैं. राज्य सरकार केंद्र द्वारा दी गयी इन शक्तियों को प्रभावित करने के लिए कोई कानून या नियम नहीं बना सकती है. ऐसा करना मनी लाउड्रिंग की जांच में व्यवधान पैदा करना है. ऐसी परिस्थिति में निदेशालय मनी लाउंड्रिंग की जांच में व्यवधान पैदा करनेवाले अफसरों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने से भी परहेज नहीं करेगा. प्रवर्तन निदेशालय ने कैबिनेट विभाग की प्रधान सचिव वंदना डाडेल द्वारा इडी को भेजे गये पत्र में उठाये गये बिंदुओं पर भेजे गये जवाबी पत्र में इन बातों का उल्लेख किया है. इडी ने उस अधिकारी का नाम भी जानना चाहा है, जिसके कहने पर प्रधान सचिव ने इडी को भेजे गये पत्र पर हस्ताक्षर किये.

ईडी ने अपने जवाबी पत्र में वंदना डाडेल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए यह जानना चाहा है कि उन्होंने किस कानून और नियम के तहत पीएमएलए के तहत जारी संवेदनशील जांच के सिलसिले में जांच अधिकारी से सूचना मांगी है? साथ ही आइपीएस अधिकारी नौशाद आलम, साहिबगंज के उपायुक्त राम निवास, डीएसपी राजा मित्रा, वैभव और अवधेश कुमार को समन भेजने का कारण और आधार जानना चाहा है. इडी ने पत्र में कहा, समन आपको नहीं भेजे गये हैं. इसलिए आपको इसका कारण जानने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. जांच अधिकारी ने पीएमएलए द्वारा दी गयी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संबंधित व्यक्तियों के समन भेजा है. आपको इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. पीएमएलए के जांच अधिकारी को भी इस सिलसिले में आपको सूचना देने का कानूनी अधिकार नहीं है. न ही आपको इससे संबंधित सूचना मांगने का.

पत्र में यह भी कहा गया है कि जांच के मामले में आपको कोई प्रशासनिक आदेश, सर्कुलर या आंतरिक आदेश जारी करने का भी कोई कानूनी अधिकार नहीं है. आपके द्वारा जारी इस तरह का कोई आदेश पीएमएलए के जांच अधिकारी को प्रभावित नहीं कर सकता है, क्योंकि उसे केंद्र सरकार ने संसद से कानून बना कर शक्तियां दी हैं. सिर्फ केंद्र सरकार ही संसद की सहमति के बाद निदेशालय के लिए कानून बना सकती है. राज्य सरकार को कानून या नियम बना कर पीएमएलए के तहत जारी जांच में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. पीएमएलए की धारा-73 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि धारा-50(2) और धारा-50(3) को प्रभावित करने के लिये कोई कानून नहीं बनाया जा सकता है.

जांच के दौरान किसी भी संबंधित व्यक्ति को समन कर सकता है ईडी

पत्र में इडी ने लिखा है कि पीएमएलए की धारा-50(2) के तहत जांच अधिकारी को समन करने का कानूनी अधिकार है. वह किसी मामले की जांच के दौरान उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति को समन कर सकता है. साथ ही जिस व्यक्ति को समन किया गया हो, उनके अनुपालन के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है. जांच के दौरान समन किये गये व्यक्ति को सच बोलने और आवश्यक दस्तावेज देने की बाध्यता है. कोई राज्य सरकार कानून बना कर या कार्यपालक आदेश जारी कर इस शक्ति को कम नहीं कर सकती है. राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों या अधिकारियों को खास तरीका अपना कर समन का अनुपालन करने या खास जवाब देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है.

ऐसा करना किसी व्यक्ति को समन का अनुपालन नहीं करने के लिए प्रेरित करना और अपराध में उसका समर्थन करना है. यह दंडनीय अपराध है. ऐसी स्थिति में इडी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी की धाराओं के तहत आपराधिक कार्यवाही करने से भी परहेज नहीं करेगी. इडी ने प्रधान सचिव को लिखे गये जवाबी पत्र में यह भी जानना चाहा कि उन्होंने किस अधिकारी के कहने पर इडी के जांच अधिकारी को भेजे गये पत्र पर हस्ताक्षर किया. इडी ने सरकार के प्रधान सचिव द्वारा लिखे गये पत्र में यह भी कहा है कि प्रधान सचिव को जांच के सिलसिले में सूचना मांगने का कानूनी अधिकार नहीं है. इसलिए उन्हें मांगी गयी सूचनाएं नहीं दी जा सकती हैं.

ईडी ने कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल को भेजा जवाब, कहा

ईडी ने उस अधिकारी का नाम भी पूछा, जिसके कहने पर प्रधान सचिव ने इडी को भेजे गये पत्र पर हस्ताक्षर किये थे

राज्य को कानून या नियम बना कर पीएमएलए के तहत जारी जांच में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं

किसी व्यक्ति को समन का अनुपालन नहीं करने के लिए प्रेरित करना और अपराध में उसका समर्थन करना दंडनीय अपराध.

ऐसे अधिकारियों पर आइपीसी की धारा के तहत कानूनी कार्रवाई से भी नहीं हिचकेगा इडी

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