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साहिबगंज एसपी को ईडी ने क्यों भेजा है समन, जानें पूरा मामला

साहिबगंज में अवैध खनन के मामले में ईडी ने विजय हांसदा को अपना गवाह बनाया था. उसने ईडी को दिये गये अपने बयान में साहिबगंज में हो रहे अवैध खनन के मामले में पंकज मिश्रा की भूमिका की विस्तृत जानकारी दी थी.

रांची : ईडी ने साहिबगंज के एसपी नौशाद आलम को समन भेज कर 22 नवंबर को दिन के 11:30 बजे रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया है. ईडी के गवाह विजय हांसदा को भड़का कर अपने बयान से मुकरने के मामले में उनकी संलिप्तता पायी गयी है. इससे पहले स्टीमर दुर्घटना मामले में सही रिपोर्ट नहीं देने के मुद्दे पर साहिबगंज के उपायुक्त से पूछताछ हो चुकी है. ईडी ने अवैध खनन के मामले में अपने गवाह विजय हांसदा के बयान से मुकरने और ईडी के दूसरे गवाहों व इडी के अधिकारियों पर केस दर्ज कराने के कारणों की जांच शुरू की है. क्योंकि, इससे संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह कहा था कि पूरे प्रकरण में पर्दे के पीछे कोई है.

ईडी ने मामले की जांच के दौरान पाया कि विजय हांसदा ने पिछले दिनों दिल्ली की यात्रा की थी. इस यात्रा का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट में चल रहे ‘पंकज मिश्रा बनाम विजय हांसदा’ के मामले में अपना पक्ष पेश करना था. पंकज मिश्रा ने झारखंड हाइकोर्ट द्वारा नींबू पहाड़ मामले में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी और विजय हांसदा की भूमिका की सीबीआइ जांच के आदेश को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विजय हांसदा को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था.

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यह है पूरा मामला :

साहिबगंज में अवैध खनन के मामले में ईडी ने विजय हांसदा को अपना गवाह बनाया था. उसने इडी को दिये गये अपने बयान में साहिबगंज में हो रहे अवैध खनन के मामले में पंकज मिश्रा की भूमिका की विस्तृत जानकारी दी थी. उसने खुद भी नींबू पहाड़ पर हो रहे अवैध खनन के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी. साथ ही जेल में रहने के दौरान ही नींबू पहाड़ प्रकरण में पुलिस जांच पर संदेह जताते हुए मामले में स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने के लिए हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. लेकिन, जमानत मिलने के बाद उसने हाइकोर्ट में आइए दाखिल कर अपने पिटीशन को वापस लेने की मांग की. इसके लिए उसने यह दलील दी कि जेल में रहने के दौरान उसकी जमानत याचिका दायर करने के लिए वकालतनामा पर दस्तखत कराया गया था.

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लेकिन, धोखे से नींबू पहाड़ मामले में जांच की मांग को लेकर याचिका दायर कर दी गयी. न्यायालय ने विजय हांसदा द्वारा जांच की मांग करने और बाद में मुकरने की घटना को गंभीरता से लिया और सीबीआइ जांच का आदेश दिया. उसी दिन विजय हांसदा ने सीबीआइ के गवाह मुकेश यादव और अशोक यादव के खिलाफ धुर्वा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. इसमें ईडी के अधिकारियों पर भी आरोप लगाये गये. मुकेश यादव ने धुर्वा थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर की. हाइकोर्ट ने थाने में दर्ज प्राथमिकी के अभियुक्तों पर पीड़क कार्रवाई करने पर रोक लगा दी. इस बीच जेल में बंद पंकज मिश्रा ने विजय हांसदा की याचिका पर दिये गये सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. पुलिस अधिकारियों ने इसी मामले में विजय हांसदा को दिल्ली भेजने की व्यवस्था की.

अवैध खनन मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था : पूरे प्रकरण में पर्दे के पीछे कोई है. ईडी ने जांच में पाया कि विजय हांसदा की दिल्ली यात्रा की व्यवस्था पुलिस अधिकारियों ने की थी. साहिबगंज एसपी के कहने पर रांची के एक पुलिस अधिकारी ने ट्रेवल एजेंट के माध्यम से हांसदा के लिए हवाई टिकट की व्यवस्था की थी. ट्रेवल एजेंट सहित रांची में पदस्थापित संबंधित अधिकारी ने ईडी के अधिकारियों के समक्ष यह स्वीकार कर लिया है. इस पूरे प्रकरण में साहिबगंज एसपी नौशाद आलम की महत्वपूर्ण भूमिका पाया गयी है. ईडी द्वारा की गयी पड़ताल और पूछताछ के दौरान रांची स्थित पुलिस अधिकारी के मोबाइल से व्हाट्सएप चैट भी मिले हैं. इसमें विजय हांसदा की यात्रा को गुप्त रखने का निर्देश दिया गया है.

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