रांची, शकील अख्तर : मिड डे मील घोटाले में मनी लाउंड्रिग के आरोपी संजय तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में खुद को 300.03 एकड़ में फैले चाय बागान का मालिक बताया था. साथ ही इसे गिरवी रख कर 1.25 प्रतिशत ब्याज पर 15 करोड़ रुपये उधार लेने का दावा किया था. उसने चाय बागान गिरवी रखने को लेकर ई-मेल के जरिये हुई बातचीत का ब्योरा भी पेश किया था. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने जांच के दौरान चाय बागान को अस्तित्व विहीन और ई-मेल से हुई बातचीत को फर्जी पाया.
संजय तिवारी ने बताया चाय बागान का मालिक
संजय तिवारी ने 22 फरवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की थी. इसमें उसने खुद को 300.03 एकड़ में फैले चाय बागान का मालिक बताया. उसके कोर्ट को चाय बागान और फैक्ट्री का पता ‘हुगरीजान टी स्टेट, बोर डूबी रोड के नजदीक, दुलियाजान, डिब्रूगढ़, असम-785691’ बताया था.
संजय ने अपने दावे के सबूत कोर्ट में की थी पेश
दावा किया था कि उसने अपने चाय बागान को राजेश मोदी, दिनेश मोदी, रमेश खेमका और अशोक खेमका के साथ बातचीत कर ली है. इन लोगों का भी डिब्रूगढ़ में ही ‘जोधपुर टी एस्टेट इंडस्ट्रीज प्रालि’ है. इनलोगों ने मेरा ‘हुगरीजान टी इस्टेट’ गिरवी रख कर 1.25% मासिक सूद पर 15 करोड़ रुपये कर्ज देने पर सहमति दी है. इसके लिए मॉर्गेज डीड भी तैयार कर लिया गया है. संजय ने अपने दावे के सबूत के रूप में राजेश मोदी के साथ मेल पर हुई बातचीत और एकरारनामे की कॉपी भी कोर्ट में जमा की थी.
सच्चाई पता करने असम गयी थी ईडी की टीम
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में संजय तिवारी द्वारा किये गये दावों की जांच के लिए अधिकारियों का एक दल असम भेजा. पड़ताल के दौरान संजय तिवारी के मालिकाना हक वाला चाय बागान कहीं नहीं मिला. इडी के अधिकारियों ने खेमका और मोदी बंधुओं से भी इस सिलसिले में जानकारी मांगी. मोदी और खेमका बंधुओं ने कोई चाय बागान गिरवी रखने के प्रस्ताव पर विचार करने या सहमति देने, फोन या ई-मेल के जरिये बातचीत करने से इनकार किया. इन लोगों ने संजय तिवारी को पहचानने से इनकार किया. साथ ही संजय तिवारी द्वारा की गयी इस जालसाजी के मामले में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही.