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झारखंड समेत देश में बिजली की खपत बढ़ी, कोयला कंपनियों पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव

कोल इंडिया सहित अन्य कंपनियों से करीब 900 मिलियन टन कोयला उत्पादन की उम्मीद थी. इसकी तुलना में करीब 881 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है. 2023-24 के लिए एक हजार मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.

रांची, मनोज सिंह:

अभी गर्मी ठीक से पड़नी शुरू भी नहीं हुई है और झारखंड समेत पूरे देश में बिजली की खपत बढ़ गयी है. तीन महीने से देश में रोजाना औसतन 200 गीगावाट बिजली से अधिक की खपत हो रही है. इससे पहले 160 से 170 गीगावाट तक बिजली की खपत होती थी. इसे देखते हुए कोयले की मांग बढ़ गयी है. इसे पूरा करने के लिए कंपनियों पर अगले तीन माह तक उत्पादन बढ़ाने का दबाव है. सीसीएल को भी अगले तीन माह के लिए पावर प्लांटों को तय मात्रा में कोयला देने का लक्ष्य दिया गया है. यही स्थिति सभी कोयला कंपनियों की है.

इस बार कोल इंडिया सहित अन्य कंपनियों से करीब 900 मिलियन टन कोयला उत्पादन की उम्मीद थी. इसकी तुलना में करीब 881 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है. 2023-24 के लिए एक हजार मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. बिजली खपत के लिए पूरे देश की कोयला जरूरत पूरा करने के लिए कंपनियों को एक हजार मिलियन टन कोयले की जरूरत है. इसके अतिरिक्त स्टील कंपनियों के लिए अलग से कोयले की जरूरत होती है. भारत सरकार केवल बिजली की जरूरत पूरा करने के लिए 100 मिलियन टन के आसपास कोयला विदेशों से मंगा रही है.

झारखंड में 1900 मेगावाट की खपत :

झारखंड में फरवरी, मार्च और अप्रैल के मौसम में बदलाव के बावजूद बिजली की खपत नहीं बढ़ी है. विभाग के सूत्रों के मुताबिक, राज्य में करीब 1900 मेगावाट बिजली की खपत है. इससे ज्यादा बिजली झारखंड के पास है. करीब 2000 से 2200 मेगावाट बिजली मिल जा रही है. इस कारण 100 मेगावाट से अधिक बिजली उपलब्ध है.

अभी झारखंड के पावर प्लांटों में कोयले की कमी भी नहीं है. सीसीएल के अधिकारियों ने बताया कि झारखंड में पावर प्लांटों को कोयले की कमी नहीं हो, इसके लिए प्रयास जारी रहता है. बकाया राज्य सरकार के किसी प्लांट के लिए समस्या नहीं है. तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड को भी कोयला नियमित रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है.

5.65 मिलियन टन कोयला देना है तीन माह में

सीसीएल के देश के कई राज्यों को कोयला जाता है. दक्षिणी भारत के साथ-साथ उत्तर भारत के कई बिजली कंपनियों को भी कोयला भेजा जाता है. अप्रैल से जून तक भारत सरकार ने सभी पावर प्लांटों को करीब 5.65 मिलियन टन कोयले देने का आदेश दिया है. अप्रैल में 1.80, मई में 1.95 तथा जून में 1.90 मिलियन टन कोयला देना है. बीते साल (2022-23) में सीसीएल ने 75 मिलियन कोयले का डिस्पैच किया है. कंपनी का लक्ष्य 76 मिलियन टन का था.

भारत सरकार ने पावर सेक्टर को जितना कोयला उत्पादन का टारगेट दिया था, उसे सीसीएल ने पूरा कर लिया है. ऐसा उत्पादन अच्छा होने के कारण हुआ है. आनेवाले तीन माह में गर्मी को देखते हुए जो टारगेट मिला है, उसे भी कंपनी पूरा कर लेगी.

– पीएम प्रसाद, सीएमडी, सीसीएल

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