इन वजहों से झारखंड में बिजली संकट गहराया, लोडशेडिंग जारी, ग्रामीण इलाकों की स्थिति तो बेहद खराब
झारखंड गहरे बिजली संकट से जूझ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण सेंट्रल पूल से कम बिजली मिलना है. बकाये की वजह से जेबीवीएनएल को पीक आवर में अतिरिक्त बिजली खरीदने पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने रोक लगा रखी है
रांची : झारखंड में बिजली की कटौती लगातार जारी है और राज्य के ग्रामीण इलाकों की स्थिति तो ज्यादा खराब है. इसकी बड़ी वजह सेंट्रल पूल से कम बिजली मिलना है. आपको बता दें कि जेबीवीएनएल का केंद्र सरकार पास बकाया है. इस वजह से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने जेबीवीएनएल को पीक आवर में अतिरिक्त बिजली खरीदने रोक लगा दी है. आधुनिक पावर से भी आपूर्ति रुकी हुई है. ऐसे में राज्य में लगातार 350 मेगावाट बिजली की कमी रह रही है.
इस स्थिति में 15 दिनों से लगातार लोडशेडिंग जारी है. हालत यह है कि पीक आवर में भी ग्रिडों को लगातार बिजली की लगभग आधी आपूर्ति हो रही है. राजधानी में अन्य जिलों की तुलना में औसतन 20 घंटे तक ही बिजली मिल रही है. गुमला, सिमडेगा, पलामू, गढ़वा, लातेहार और खूंटी में तो औसतन 15 घंटे ही बिजली दी जा रही है.
ग्रिडों को कम आपूर्ति, छठ पर भी रही परेशानी :
ग्रिड से कम आपूर्ति होने से राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में बारी-बारी से बिजली दी जा रही है.पर बाहरी इलाकों में असमय होनेवाली बिजली कटौती से उपभोक्ता छठ पर खासे परेशान दिखे. यह परेशानी बाहरी इलाकों के सभी डिवीजन में बनी रही. डिमांड बढ़ने से हटिया 220/132 केवी ग्रिड पर भी काफी दबाव देखा गया. सोमवार को बिजली की कम उपलब्धता के कारण अन्य ग्रिडों को भी जरूरत से कम बिजली मिली.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ी ट्रिपिंग :
नगड़ी, बेड़ो, नामकुम, ओरमांझी, टाटीसिलवे और तुपुदाना में ट्रिपिंग बढ़ गयी है और इससे इंडस्ट्री की उत्पादन लागत भी प्रभावित हुई है. नये रूल के तहत बिजली खरीद पर लगी है रोक : करेंट बिल के भुगतान में 45 दिनों का विलंब होने पर केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी (लेट पेमेंट सरचार्ज एंड रिलेटेड मैटर्स) रूल्स 2022 के तहत रोक लगा देती है. झारखंड बिजली वितरण निगम पर 88.43 करोड़ रुपये बकाया है. 15 अक्तूबर तक अंतिम तिथि थी. 15 अक्तूबर से लेकर अब तक लगातार बिजली कटौती की जा रही है.
आधुनिक पावर से भी नहीं मिल रही बिजली :
झारखंड में औसतन प्रतिदिन 2000 मेगावाट के करीब बिजली की मांग रहती है. पीक आवर में यह मांग बढ़कर 2200 मेगावाट तक चल जाती है. आधुनिक पावर से भी ओपेन एक्सेस सिस्टम से 200 मेगावाट बिजली खरीदी जाती थी. इस पर भी रोक लगी हुई है. जिस कारण प्रतिदिन 350 मेगावाट बिजली की कमी बनी रहती है और नतीजा पिछले 15 दिनों से लगातार लोड शेडिंग हो रही है.
खपत की तुलना में पांच घंटे तक आधी बिजली मिल रही :
बिजली की कमी के चलते हटिया वन 132/33 ग्रिड को 100 से 110 की जगह पर 60 से 70 मेगावाट पर, नामकुम ग्रिड को रोज शाम पांच बजे के बाद 85 से 90 की जगह करीब-करीब 40 से 60 मेगावाट पर और कांके ग्रिड को 70 से 75 की जगह 30 से 35 मेगावाट पर चलाया जाता है. इस कारण ग्रिड से जुड़े सभी 33 केवी पावर सबस्टेशन को भी खपत की तुलना में करीब पांच घंटे तक आधी बिजली मिल रही है.