झारखंड के जिन इलाकों में जहां पावर लॉस ज्यादा, वहां अधिक काटी जा रही बिजली

झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड हाल के बिजली संकट के दौरान एक नये सिस्टम पर काम करता दिखाई दे रहा है. उपभोक्ताओं की शिकायतों और कुछ आंकड़ों पर गौर करें, तो यह ट्रेंड साफ दिखाई दे रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 22, 2022 8:37 AM

झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड हाल के बिजली संकट के दौरान एक नये सिस्टम पर काम करता दिखाई दे रहा है. उपभोक्ताओं की शिकायतों और कुछ आंकड़ों पर गौर करें, तो यह ट्रेंड साफ दिखाई दे रहा है. विद्युत आपूर्ति क्षेत्र रांची में जिन इलाकों में पावर लॉस (हानि) ज्यादा है और वसूली कम है, उन फीडरों को लोडशेडिंग का सामना ज्यादा करना पड़ रहा है. वितरण निगम ने हालिया पावर संकट के दौरान घोषित रूप से लोडशेडिंग का सर्कुलर जारी नहीं किया है.

लेकिन सबस्टेशनों को मौखिक आदेश देकर हर इलाके में श्रेणी तय की गयी है और उसी अनुसार लोडशेडिंग का समय तय हुआ है. डेढ़ से पांच घंटे तक लोडशेडिंग का आदेश इस सर्कुलर में दिया गया है. जिस एरिया में बिजली का ज्यादा नुकसान है, वहां ज्यादा लोडशेडिंग हो रही है. हालांकि, विद्युत हानि ज्यादा व वसूली कम का नियम राजधानी के कुछ विशेष प्रभावित क्षेत्र के लिए लागू नहीं है. जबकि, यहां सरकारी कार्यालयों के ही करोड़ों रुपये के बड़े बकायेदार मौजूद हैं.

शहर के कुछ वीआइपी फीडर में 23 घंटे से ज्यादा रह रही बिजली : वितरण निगम को पिछले महीने करीब 56 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो लक्ष्य से काफी कम था. इस लिहाज से बिजली निगम ने हर इलाके को ए, बी, सी, डी में बांटा है. ए, बी श्रेणी को उत्कृष्ट और वीआइपी श्रेणी का माना जा रहा है, वहीं सी, डी को ठीक-ठाक माना गया है. राजभवन सबस्टेशन से जुड़े पहाड़ी, मधुकम और रातू रोड फीडर को छोड़ ए श्रेणी के ज्यादातर फीडरों को गंभीर क्राइसिस में भी महज आधा से एक घंटा तक व बी श्रेणी में दो घंटे तक लोडशेडिंग की इजाजत है.

इन इलाकों में बिजली का ज्यादा संकट

विद्युत आपूर्ति क्षेत्र रांची से जुड़े तुपुदाना इंडस्ट्रियल इलाके को छोड़ आसपास के इलाके रातू रोड, रातू चट्टी, लटमा, कांके, अरसंडे, मांडर, तोरपा, घाघरा, कुड़ू, टाटीसिलवे, नामकुम के जोरार, तेतर टोली, चायबगान, कालीनगर सहित पिठोरिया और सिरडो वन और टू सहित शहर के कुछ लो रिवेन्वू वाले इलाके में बिजली का संकट जयादा है. राजधानी के अंदर ही एक दर्जन मोहल्ले ऐसे हैं, जहां 0 से 50 यूनिट वाले उपभोक्ताओं की तादाद 150 से 200 है.

लोडशेडिंग की नौबत न आये, इस दिशा में काम किया जा रहा है. हमारे लिए सभी उपभोक्ता एक जैसे हैं. हालांकि, संकट की स्थिति में भी राजधानी को निर्बाध आपूर्ति मिले, इस बात का भी ध्यान रखा जाता है.

प्रभात कुमार श्रीवास्तव, जीएम, विद्युत आपूर्ति सर्किल रांची

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