रांची: बिजली विभाग की मनमानी से उपभोक्ता त्रस्त हैं. हर महीने 10 से 15 दिन की देरी से बिल मिलने के कारण उन्हें सब्सिडी से वंचित होना पड़ रहा है. नियमानुसार अगर विभाग बिल दे, तो एक महीने में 400 यूनिट तक बिजली खपत करनेवालों को सब्सिडी मिलेगी. इसकी घोषणा झारखंड सरकार ने की है.
अप्रैल 2022 से यह योजना लागू हो गयी है. इससे अधिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 6.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल का भुगतान करना होगा. इधर, बड़ी संख्या में उपभोक्ता शिकायत कर रहे हैं कि उनका बिल 30 दिन की जगह पर 40 या 45 दिनों में मिल रहा है. इससे उनकी खपत 400 यूनिट से अधिक दिख रही है. जिससे उन्हें सब्सिडी से वंचित कर दिया गया है और 6.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल दिया गया है.
झारखंड में 400 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने पर उपभोक्ताओं को दी जानेवाली सब्सिडी समाप्त कर दी गयी है. एक अप्रैल 2022 से यह प्रभावी है. एक अप्रैल से 401 या इससे अधिक यूनिट बिजली खपत होती है, तो उपभोक्ताओं को 6.25 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा. वहीं, 400 यूनिट तक खपत करनेवाले शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को 3.50 से लेकर 4.20 रुपये प्रति यूनिट की दर से ही भुगतान करना होगा. अप्रैल में उपभोक्ताओं को इसके अनुरूप ही बिजली बिल दिया जा रहा है
एक माह यानी 30 दिन में 400 यूनिट तक खपत करनेवालों को मिलनी है सब्सिडी
सब्सिडी से वंचित कर “6.25 प्रति यूनिट की दर से बिल दिया जा रहा
देरी से दिया बिल, तीन गुना अधिक करना होगा भुगतान
हिनू के एक उपभोक्ता राजेश कुमार को मार्च में छह तारीख को बिजली बिल दिया गया था. तब उनकी कुल खपत 380 यूनिट थी. फिर अप्रैल में उन्हें 12 तारीख को बिल दिया गया. यानी 37 दिनों के बाद बिल मिला. तब यह बिल 420 यूनिट हो गयी. इससे उन्हें सब्सिडी से वंचित कर दिया गया. उनका कहना है कि यदि पिछले माह छह मार्च को बिल दिया गया था, तो इस माह भी पांच या छह अप्रैल को बिल मिलना चाहिए. पर सात दिन विलंब से बिल देने की वजह से उन्हें सब्सिडी से वंचित होना पड़ रहा है. अब उन्हें लगभग तीन गुना अधिक बिल का भुगतान करना पड़ रहा है.
झारखंड बिजली वितरण निगम के पास इस समय कुल उपभोक्ता 50 लाख हैं. इनमें 42 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं. शेष आठ लाख कॉमर्शियल, औद्योगिक और एचटी उपभोक्ता हैं. वहीं, 42 लाख उपभोक्ताओं में 35 लाख ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता हैं. जिनकी औसत या 200 यूनिट से भी कम खपत होती है. सात लाख शहरी उपभोक्ता हैं.
अगर उपभोक्ताओं को तय समय से बिजली बिल नहीं दिया जा रहा है, तो इसकी समीक्षा की जायेगी. बिलिंग एजेंसी हर हाल में यह सुनिश्चित करें कि उपभोक्ताओं को 30 दिनों का ही बिल मिले.
अविनाश कुमार, सीएमडी झारखंड ऊर्जा विकास निगम
Posted By: Sameer Oraon