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झारखंड में बांस-बल्ली के सहारे हो रही बिजली की सप्लाई, पांच से आठ साल बाद भी नहीं लग सका है पोल

40 साल पुराने जर्जर हो चुके पोल और तार से बिजली की आपूर्ति की जा रही है. शहर में जगह-जगह जर्जर पोल हादसों की आशंका पैदा कर रहे हैं.

राजधानी रांची में कई मोहल्ले ऐसे हैं, जहां बिजली के पोल और तार लगाने को लेकर झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) गंभीर नहीं है. इसको लेकर लोग बिजली कार्यालयों का चक्कर काटते-काटते थक गये, लेकिन आवेदन देने के पांच से आठ साल बाद भी उनके मोहल्ले में पोल नहीं लग सका है. इनमें न्यू पुंदाग, कांके, नामकुम और रिंग रोड से सटे ज्यादातर नये मोहल्ले शामिल हैं. यहां के लोग काफी दूर से बांस व बल्ली के सहारे तार खींच कर घरों में बिजली जला रहे हैं. इससे हमेशा खतरे की आशंका बनी रहती है.

इस संबंध में स्थानीय लोगों का कहना है कि मोहल्ले में ट्रांसफॉर्मर तो लगा है, लेकिन बिजली के पोल और तार नहीं लगाये गये हैं. बिजली वितरण निगम के अभियंताओं को परेशानियों से अवगत कराने के बाद भी मोहल्ले में समस्या जस की तस बनी हुई है.

जर्जर हो चुके पोल और तार से बिजली की आपूर्ति : 40 साल पुराने जर्जर हो चुके पोल और तार से बिजली की आपूर्ति की जा रही है. शहर में जगह-जगह जर्जर पोल हादसों की आशंका पैदा कर रहे हैं. खेलगांव चौक के पहले एक बिजली का खंभा टूट कर काफी झुक गया है. चार दिन पहले शिकायत की गयी थी, लेकिन इसे बदला नहीं जा सका है.

तीन बार पत्र लिखने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराये गये उपकरण

रांची आपूर्ति अंचल से जरूरी उपकरणों की कमी को देखते हुए तीन बार जेबीवीएनएल मुख्यालय को पत्र लिखा गया. ट्रांसफॉर्मर, पोल और एलटी केबल की मांग की गयी है. लेकिन, मांग की तुलना में काफी कम उपकरण उपलब्ध कराये गये. सबसे पहला पत्र पिछले साल जनवरी में लिखा गया था. इसमें 200 केवीए के 200 ट्रांसफॉर्मर, 1000 किलोमीटर तार और कम भार वाले 4000 पोल की मांग की गयी थी.

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