SC ने किया झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को निरस्त, कहा- बिहार बंटवारे के बाद आये कर्मचारी को मिलेगा ST का लाभ
Jharkhand News, Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को निरस्त करते हुए एकल पीठ के आदेश को बहाल किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कैडर बंटवारे के बाद बिहार से आये एसटी कैटेगरी के कर्मी अखिलेश प्रसाद को झारखंड में आरक्षण का लाभ मिलेगा.
Jharkhand News, Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती देनेवाली स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि कैडर बंटवारे के बाद बिहार से आये एसटी कैटेगरी के कर्मी अखिलेश प्रसाद को झारखंड में आरक्षण का लाभ मिलेगा. प्रोन्नति में तो आरक्षण का लाभ सरकार दे ही रही है. सीमित परीक्षा व सीधी नियुक्ति में भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को निरस्त करते हुए एकल पीठ के आदेश को बहाल किया. जस्टिस यूयू ललित, पीएस नरसिंहा व एसआर भट्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने उक्त फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2022 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने खंडपीठ को बताया था कि प्रार्थी की जाति गोंड है, जो बिहार व झारखंड में एसटी कैटेगरी में आती है. प्रार्थी एसटी कैटेगरी में को-अॉपरेटिव एक्सटेंशन अॉफिसर के पद पर कार्यरत हैं. झारखंड राज्य बनने के बाद कैडर आवंटन के तहत वह झारखंड में नौकरी कर रहे हैं. बिहार पुनर्गठन अधिनियम-2000 की धारा 72 व 73 हमें सुरक्षा प्रदान करता है.
खास बातें:-
-
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को निरस्त किया, एकल पीठ के आदेश को सही ठहराया
-
मामला कैडर बंटवारे के बाद एसटी कैटेगरी के कर्मी को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं देने का
-
सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2022 को मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था
सेवा शर्तों में नहीं किया जा बदलाव
अधिनियम के तहत आवंटित कर्मी की सेवा शर्तों में बदलाव नहीं किया जा सकता है. जेपीएससी ने अक्तूबर 2010 में उप समाहर्ता सीमित प्रतियोगिता परीक्षा (विज्ञापन संख्या-9/2010) का आवेदन आमंत्रित किया था. आरक्षित वर्ग में उन्होंने आवेदन दिया. परीक्षा में सफल भी हुए. एसटी कैटेगरी में अंतिम चयनित अभ्यर्थी (113.70 अंक) से अधिक (123.68) अंक भी प्राप्त किया, लेकिन आयोग ने अनुशंसा नहीं की आैर राज्य सरकार ने इस आधार पर नियुक्त नहीं किया कि आप बिहार के निवासी है.
आपको झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है. प्रार्थी ने कहा कि वह एसटी कैटेगरी में हैं आैर हम झारखंड में नाैकरी कर रहे हैं. हमे यहां आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, तो कहां मिलेगा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अखिलेश प्रसाद ने एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के खंडपीठ के फैसले को चुनाैती दी थी.
एकल पीठ ने 2017 में सुनाया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की एकल पीठ के आदेश को सही माना है. एकल पीठ ने 22 सितंबर 2017 को अखिलेश प्रसाद को आरक्षण का लाभ देते हुए नियुक्त करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार व जेपीएससी ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर की.
खंडपीठ ने 12 मई 2021 को एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया. कहा कि बिहार के निवासी हैं, इसलिए झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रार्थी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुनाैती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूर्व में हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.