सुनील चौधरी, रांची : जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड(जेएसपीएल) के एमडी बीआर शर्मा का कहना है कि कोयले के निजीकरण का सबसे अधिक लाभ झारखंड को मिलेगा. झारखंड का कायाकल्प हो जायेगा. श्री शर्मा ने कहा कि झारखंड में बड़ी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं. इनके रोजगार के लिए सरकार सभी परियोजनाएं चालू कर दे, तो यहां लोगों को यहीं रोजगार मिल जायेगा.
यहां काम करनेवाली कंपनियों के लिए सरकार यह शर्त रख दे कि 90 प्रतिशत कर्मचारी झारखंड के होंगे. साथ ही कंपनियों से यह भी पूछे कि प्लांट लगाने के लिए अलावा वे यहां क्या-क्या काम करेंगे. श्री शर्मा से प्रभात खबर की हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
-
90 प्रतिशत स्थानीय को काम देने की शर्त रखे सरकार यहां काम करनेवाली कंपनियों में
-
यहां के मुख्यमंत्री बेहतर हैं, केंद्र से उनका तालमेल अच्छा है, राज्य को इसका लाभ मिलेगा
-
काम शुरू करने से पहले शर्त रखवा ली जाये कि कंपनी झारखंड के लिए क्या-क्या करेगी
कोयले का निजीकरण करना सरकार का बोल्ड निर्णय है. अभी हमारे देश में 300 से 400 बिलियन टन कोयला रिजर्व है. पूरी दुनिया में एक मुहिम चली हुई है कि कोयले को जलाओ मत, इससे प्रदूषण होता है. यह अमेरिका, आस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, रूस और चीन जैसे देशों का सुनियोजित षड्यंत्र है. ये हमें कोयला निकालने से रोकते हैं और अपने देश का कोयला निकाल कर हिंदुस्तान भेज रहे हैं.
भारत में एक साल में 250 मिलियन टन कोयला इंपोर्ट होता है, जिसकी कीमत 26 बिलियन डॉलर है. भगवान ने लाखों टन का कोयला हमारी धरती में दबा रखा है. हम इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो अंदर जल कर खत्म हो जायेगा. मैं पीएम मोदी, वित्त मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तारीफ करता हूं, जिन्होंने इस निर्णय को मूर्त रूप दिया है. प्राइवेट माइनिंग से ज्यादा से ज्यादा कोयला भारत से निकले और स्टील प्लांटों, पावर प्लांटों और स्पंज प्लांटों को मिले, ताकि पूरे देश को सस्ती बिजली मिले.
झारखंड में कोयला,आयरन ओर, कुशल कारीगर, वन संपदा, पानी सब कुछ है. पूरे भारत में इससे ज्यादा अमीर दूसरा कोई राज्य नहीं है. यहां कोयला ‘ब्लैक गोल्ड’ है. यहां लगभग 20 कोल ब्लॉक का निजीकरण यहां होना है. जब कंपनियां यहां से कोयला निकालेंगी, तो राज्य की इकोनॉमी में बदलाव आयेगा.
कोल इंडिया के पास 350 कोल ब्लॉक है. सभी तो प्राॅफिट में नहीं हैं. जो प्राफिटवाली नहीं हैं, उसे प्राइवेट को दे दो. उसे फिक्स कर दीजिये कि गांव के लिए इतना पैसा देना होगा, सड़क के लिए इतना पैसे लगाना होगा, स्कूल के लिए इतना खर्च करना होगा. साथ ही कितनी नौकरियां मिलेंगी यह भी देखना होगा.
निश्चित रूप से, लेकिन सरकार को करना यह चाहिए कि यहां जिनके प्लांट हैं, उनके लिए दो प्रतिशत ब्लॉक आरक्षित कर देना चाहिए. उसकी भी बोली यहीं के प्लांट द्वारा लगायी जानी चाहिए. आप शर्त रख दें कि जो यहां पंचायत भवन बनवायेगा, सड़क बनवायेगा, पानी, बिजली की व्यवस्था करेगा उसे ही माइंस मिलेगी.
आठ लाख मजदूर झारखंड वापस आ रहे हैं. आप सभी प्रोजेक्ट चालू कर दें. नयी-नयी परियोजनाओं को मंजूरी दें, तो हमारे लेबर बाहर जायेंगे ही नहीं. माइंस चालू करेंगे, तो कानून बना दें कि उसके अंदर काम करने वाले 90 प्रतिशत लोग झारखंड के मूल निवासी होंगे. ट्रक भी झारखंडी का होना चाहिए.
हम तो कह रहे हैं कि हमसे काम कराओ. हमें आयरन ओर मिल जाता, तो जंगल में मंगल हो जाता है. हमारे पास तो दो मिल पतरातू में. एक बंद है. रॉ मटेरियल छत्तीसगढ़ से मंगाना पड़ता है. हम तो सबकुछ करना चाहते हैं. पर मिला कहां. झारखंड के आयरन ओर और कोयला लेकर जो काम होता वो तो होने नहीं दिया गया.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में काफी क्षमता है. यंग हैं. उनके अंदर काम करने की काफी क्षमता है. वे एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनकी अपोजिशन में होने के बावजूद पीएम से बनती है. केंद्र से उनका तालमेल अच्छा है, जिसका लाभ निश्चित रूप से झारखंड को मिलेगा. वे सिर्फ अपने राज्य और जनता की सोच रखते हैं. उन्होंने चुनाव भी लड़ा तो बिना मोदी जी का नाम लिये.
विद्या रतन शर्मा जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के एमडी हैं. इससे पहले वह अबुलखैर ग्रुप के सीइओ के रूप में स्टील, पावर, सीमेंट और माइनिंग का काम देखते थे. वह इस्पात इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कार्यकारी निदेशक के रूप में काम कर चुके हैं. भूषण स्टील ग्रुप के निदेशक भी रह चुके हैं. श्री शर्मा के पास स्टील, पावर और माइनिंग सेक्टर में काम करने का 36 वर्षों का अनुभव रहा है. उन्होंने मेकेनिकल इंजीनियरिंग की है और यूके से बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन में मास्टर की डिग्री ली है.