एक समय था जब बजरा स्थित हरमू नदी के उद्गम स्थल के पास बरसात में पानी बहता रहता था. आज नजारा बदल गया है. मिट्टी-पत्थर डस्ट से भर कर कभी 150 फीट चाैड़ी नदी की धारा को मोड़ कर इसे नाला बना दिया गया है. अब हरमू नदी के अस्तित्व पर ही संकट है. प्राकृतिक बहाव अवरूद्ध होने के कारण वह 15-20 फीट का नाला दिखता है. नदी किनारे की जमीन अतिक्रमण कर दर्जनों मकान बन दिये गये हैं. केसीसी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड के प्लांट तक आने-जाने के लिए नदी में डस्ट भर कर कच्ची सड़क बना दी गयी. कोरोना काल में प्लांट चालू हुआ था. वर्ष 2022 में नदी के तेज बहाव में दो में से एक चिमनी गिर गयी थी, जिसे बाद में फिर से बना दिया गया. प्लांट से सटे तथा रांची-गुमला एनएच से होकर एनके कंस्ट्रक्शन प्रालि का 14 मंजिला पाम हिल्स अपार्टमेंट का निर्माण हो रहा है. इसका नक्शा भी आरआरडीए ने पास कर दिया है. दूसरी तरफ बजरा पुल के नीचे से एलएन मिश्रा कॉलोनी के पीछे से होते हुए नदी राजधानी में प्रवेश करती है. जैसे-जैसे नदी अपने उदगम स्थल से आगे बढ़ती है, आसपास की घनी आबादी से निकल कर नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट के उसमें समाहित होता जाता है.
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बरसात में जहां नदी का उदगम स्थल पानी से भरा रहता था, आज नाला दिखता है
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हरमू नदी के विकास पर सरकार ने 85 करोड़ रुपये खर्च किये, पर उदगम स्थल से अतिक्रमण नहीं हटा
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वर्ष 2020 में तत्कालीन डीसी छविरंजन से अतिक्रमण की शिकायत की गयी थी, पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
वर्ष 2019 के पूर्व उदगम स्थल के आसपास नहीं दिखता था निर्माण
स्थानीय लोगों के मुताबिक, रांची-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग के बजरा पुल के नीचे से हरमू नदी बहती है. वर्ष 2018-19 के पहले हरमू नदी के उदगम स्थल के आसपास (डीएवी हेहल से लेकर राधा-रानी हॉस्पिटल तक) कोई निर्माण नहीं था. आसपास की जमीन गैरमजरूआ प्रकृति (सरकारी भूमि) की थी, लेकिन भूमि माफियाओं ने गैरमजरुआ जमीन भी बेच दी. लोगों ने जमीन खरीद कर पक्का निर्माण शुरू कर दिया. कोरोना काल के समय उस इलाके में काफी निर्माण हुआ है. नदी व गैर मजरुआ जमीन पर कब्जा के मामले में हेहल व रातू अंचल के तत्कालीन अधिकारियों-कर्मियों की बड़ी भूमिका बतायी जाती है. पूरे मामले का खुलासा उच्चस्तरीय जांच से हो सकता है. फोटोग्राफ्स व वीडियो के साथ इसकी लिखित शिकायत झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजननाथ शाहदेव ने वर्ष 2020 में की थी, लेकिन तत्कालीन उपायुक्त छविरंजन ने कोई कार्रवाई नहीं की. हेहल अंचल व रातू अंचल के अधिकारी सोते रहे और नदी की जमीन पर अतिक्रमण होता रहा. जिले का प्रशासनिक तंत्र शहर में हरमू नदी, हिनू नदी, कांके डैम की जमीन के अतिक्रमण हटाने पर कार्रवाई करता रहा, लेकिन हरमू नदी के उदगम स्थल के पास अतिक्रमण करनेवालों को नोटिस तक नहीं दिया गया. ग्रामीण सुरेंद्र सिंह कहते है कि यदि उदगम स्थल का अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया गया, तो हरमू नदी का अस्तित्व नाला के रूप में ही रहेगा.
बताते हैं लोग
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पहले यह सुनसान इलाका था
एलएन मिश्रा कॉलोनी निवासी कृष्ण कुमार ठाकुर कहते है कि वह 196-97 से रह रहे हैं. बजरा पुल, जो लोहा पुल था. उसके आसपास कुछ भी नहीं था. कोई निर्माण नहीं था. सिर्फ राधा-रानी नगर, मिशनरीज ऑफ चैरिटी था. लोग इस क्षेत्र में आने से डरते थे. पुल के आसपास वाहनों से लूटपाट होती थी. पुल के नीचे से शव बरामद होते थे.
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पुल के नीचे से कल-कल बहती थी नदी
सुरेंद्र सिंह के मुताबिक बजरा पुल के पास से नदी का प्राकृतिक स्वरूप दूर से ही दिख जाता था. टुंगरी, पत्थर का टीला और पेड़ पाैधे दिखते थे, जिससे होकर नदी बजरा पुल के नीचे से होते हुए एलएन मिश्रा कॉलोनी के पीछे चली जाती है. नदी में पहले पानी भरा रहता था. आज वहां आसपास निर्माण हो गया है. उसके प्राकृतिक बहाव को लगभग रोक दिया गया है.