झारखंड के जमीन दलालों की करतूत, बदल दी स्वर्ण रेखा नदी की धारा, 40 एकड़ जमीन पर किया कब्जा
नदी के आसपास रहनेवाले ग्रामीणों का कहना है कि एक समय था कि इस नदी में लोग नहाते थे. आज प्रदूषित पानी पशु-पक्षी भी नहीं पीते हैं. पूर्व में भी प्रभात खबर ने स्वर्ण रेखा नदी के अतिक्रमण की खबर को प्रमुखता से छापी थी.
झारखंड की लाइफ लाइन कही जानेवाली स्वर्ण रेखा नदी की धारा जमीन दलालों ने बदल दी है. हटिया स्थित स्वर्ण रेखा नदी की 40 एकड़ जमीन को जमीन दलालों ने अंचल के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से बेच दी है. 40 फीट चौड़ी नदी अब सिमट कर चार से आठ फीट चौड़ी रह गयी है. जमीन दलालों ने इस नदी को यहां नाले में तब्दील कर दिया है.
नदी के आसपास रहनेवाले ग्रामीणों का कहना है कि एक समय था कि इस नदी में लोग नहाते थे. आज प्रदूषित पानी पशु-पक्षी भी नहीं पीते हैं. पूर्व में भी प्रभात खबर ने स्वर्ण रेखा नदी के अतिक्रमण की खबर को प्रमुखता से छापी थी. खबर छपने के बाद तत्कालीन उपायुक्त मनोज कुमार ने नामकुम अंचल के सीओ को नदी की नापी कराकर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था. 15 दिनों तक चले अभियान में नदी की नापी हुई.
कई अवैध निर्माण पर बुलडोजर भी चले. कुछ दिनों बाद फिर से नदी का अतिक्रमण शुरू हो गया. बड़े-बड़े मकानों का निर्माण हो गया है. कई मकानों के नाले का पानी भी नदी में बहा दिया गया है. स्वर्ण रेखा नदी की लगभग 40 एकड़ जमीन दलालों ने बेच दी है. स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण के लिए केंद्र सरकार की पूर्व मंत्री उमा भारती ने 285 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी. जुडको की ओर से नदी का सर्वे भी कराया गया था. यह योजना अधर में लटक गयी है.
कैसे हुई हेरा-फेरी
हटिया रीवर व्यू कॉलोनी स्थित स्वर्ण रेखा नदी की जमीन को बगल के खाता प्लॉट नंबर में मिलाकर जमीन दलाल व अंचल कार्यालय की मिलीभगत से बेचा गया है. इसमें खाता व प्लॉट नंबर कहीं और मकान कहीं और बना दिया गया है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब पूर्व सीओ द्वारा नदी की मापी करायी गयी. वहां रह रहे लोगों से सीओ ने कहा कि आप लोगों का खाता एवं प्लॉट कहीं और का है जबकि आपने घर कहीं और बना लिया है. नदी की जमीन पर मकान बना चुके कई लोगों को उस समय अंचल की ओर से नोटिस भेजी गयी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ.