अभिषेक रॉय, रांची :
राजधानी और इसके आसपास के जलाशय इन दिनों प्रवासी पक्षियों से गुलजार हैं. धुर्वा डैम, गेतलसुद डैम, होरहाब जंगल, बड़ा तलाब, कांके डैम समेत शहर के छोटे-बड़े जलाशयों में इन प्रवासी पक्षियों को देखा जा रहा है. बर्ड वाचर्स दिन भर इन पक्षियों की तस्वीर कैमरे में कैद करने के लिए अपना डेरा जमाये बैठे हैं. रांची के बर्ड वॉचर सुनील कुमार ने धुर्वा डैम में दुर्लभ पक्षी- फाल्केडेट डक के जोड़े को अपने बच्चे के साथ चिह्नित किया है. पूरे डैम में यह एक मात्र फाल्केटेड डक का परिवार है, जो प्रवास के क्रम में रांची पहुंचा है. मूल रूप से फाल्केडेट डक पूर्वी साइबेरिया और मंगोलिया में पाया जाता है. इसके अलावा डैम में बतख प्रजाति के कई अन्य प्रवासी पक्षी जैसे- रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, गडवाल, नॉर्दन पिनटेल, टफटेड डक के कई जोड़े नजर आ रहे हैं.
धुर्वा डैम के आसपास हैरियर यानी चील प्रजाति के लुप्तप्राय सर्कस मेलानोलुकोस को देखा गया है. वर्ड वॉचर सुनील ने बताया कि घंटों नजर टिकाये रखने के बाद भी केवल एक सर्कस मेलानोलुकोस नजर आया. इस प्रजाति को रांची में अंतिम बार 2022 में देखा गया था. इस पक्षी को इसके खास रंग से पहना जा सकता है. इसके सिर से लेकर गर्दन का पूरा हिस्सा और पीठ पर एक पूरी पट्टी नेवी ब्लू रंग की होती है. वहीं, सफेद रंग के शरीर के बाद पंख के अंतिम छोर पर नेवी ब्लू रंग नजर आता है. लुप्तप्राय सर्कस मेलानोलुकोस को जलाशय के आसपास मछली, सांप, मेंढक व छोटे पक्षियों का शिकार करते देखा जा सकता है.
Also Read: झारखंड: CRPF के आईजी, कमांडेंट समेत 500 अज्ञात जवानों के खिलाफ रांची में क्यों दर्ज हुई एफआईआर?
बर्ड वाचर सुनील कुमार ने बताया कि फाल्केटेड डक की पहचान सिर पर हरे रंग की चमकीली धारियों से की जा सकती है. गर्दन पर काले-सफेद और शरीर पर ग्रे रंग की धारियां होंगी. इस वर्ष नर के साथ मादा फाल्केटेड डक भी नजर आ रही है. मादा के सिर पर लाल व भूरे रंग की चमकीली धारियां और शरीर पर काले, भूरे व सफेद के साथ हरे रंग की धारियां नजर आयेंगी. वहीं, इसके चूजे की पहचान उसके छोटे आकार और शरीर पर काले और भूरे रंग की धारियों से कर सकते हैं. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आइयूसीएन) ने फाल्केटेड डक को लुप्तप्राय घोषित कर दिया है.