19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पर्यावरण मेला: डॉ मानस बोले, जानलेवा वायु प्रदूषण बच्चों-महिलाओं व आम लोगों पर डाल रहा असर, बरतें ये सावधानी

श्री रे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के इलाके में किये गए सर्वे में यह बात निकल कर सामने आई कि वहां पैदा होने वाले बच्चे ज्यादा शैतानियां करते हैं. ज्यादा गुस्सैल होते हैं. ज्यादा जिद्दी होते हैं और ज्यादा बदमाशियां करते हैं. इसके उलट हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों के बच्चे ज्यादा विनम्र होते हैं.

रांची: कोलकाता के चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीट्यूट के पूर्व सहायक निदेशक डॉ मानस रंजन रे पर्यावरण मेले में प्रदूषण का मानव जीवन पर कुप्रभाव विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर शासन व्यवस्था और समाज ने प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया तो आनेवाले दिनों में वायु प्रदूषण के कारण देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में कैंसर से मरने वालों की संख्या काफी बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में प्रदूषण को रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहिए थे, वो नहीं उठाए गए. युगांतर भारती और नेचर फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रहे पर्यावरण मेले में कोलकाता से शिरकत करने आए डॉ रे ने कहा कि वायु प्रदूषण का असर वर्तमान पीढ़ी के शरीर के प्रायः सभी हिस्सों पर तो पड़ ही रहा है, आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ रहा है. बच्चे अंडरवेट पैदा हो रहे हैं. वो निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं. महिलाओं में गर्भधारण की समस्या पैदा हो रही है. उनका मासिक धर्म भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. आम आदमी ज्यादा डिप्रेस्ड हो रहा है.

प्रदूषण का बच्चों पर असर

श्री रे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के इलाके में किये गए सर्वे में यह बात निकल कर सामने आई कि वहां पैदा होने वाले बच्चे ज्यादा शैतानियां करते हैं. ज्यादा गुस्सैल होते हैं. ज्यादा अटेंशन चाहते हैं. ज्यादा जिद्दी होते हैं और ज्यादा बदमाशियां करते हैं. इसके उलट हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों के बच्चे ज्यादा विनम्र होते हैं. ज्यादा आज्ञाकारी होते हैं. कम गुस्सा करते हैं और ज्यादा अक्लमंद होते हैं. यह सब प्रदूषण के कारण होता है. छत्तीसगढ़-दिल्ली में इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन बहुत ज्यादा है. इसका असर बच्चों पर पड़ रहा है. हिमाचल में इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन बेहद कम है. इसलिए वहां के बच्चे शरीफ दिखते हैं. यह फर्क है पॉल्यूटेड और अनपॉल्यूटेड एरिया का. उन्होंने कहा कि अगर इंसान को इस पॉल्यूशन को कम करना है तो सरकार ने जो भी नियामक बनाए हैं, उसका 100 फीसदी अनुपालन करना होगा. उन्होंने अमेरिका का उदाहरण दिया, जहां भारत की तुलना में कहीं ज्यादा उद्योग-धंधे चल रहे हैं और एक जमाने से चल रहे हैं. पॉल्यूशन वहां भी होता है परंतु कम होता है क्योंकि वहां जो नियामक हैं, वो उसमें बराबर चेकिंग करते हैं. भारत में पॉल्यूशन बढ़ने का एक बड़ा कारण बढ़ती हुई आबादी है. फरवरी में टेंपरेचर 39 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया तो कैसे? इस पर विचार करने की जरूरत है.

Also Read: झारखंड कांग्रेस विधायक कैश कांड: हाईकोर्ट में एमएलए राजेश कच्छप की क्रिमिनल रिट याचिका पर फैसला सुरक्षित

डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद नुकसानदेह

श्री रे ने बताया कि घर में अगरबत्ती या धूप जलाना अथवा बीड़ी-सिगरेट पीना कैंसर को खुलेआम न्योता देने के बराबर है. घर में मॉस्किटो क्वायल जलाना तो बेहद घातक है. इसके साथ ही धूपबत्ती का जलाना भी बेहद खतरनाक है. इसमें बहुत ज्यादा केमिकल्स होते हैं. ये केमिकल्स हमारे फेफड़ों में घुस कर उसे तो तबाह करते ही हैं, लंग्स, हार्ट और किडनी को भी नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया कि प्रदूषण से सबसे ज्यादा असर उन लोगों को पड़ता है, जो डायबिटीज के रोगी हैं. डॉ. रे ने बताया कि प्रदूषण सबसे ज्यादा जाड़े के मौसम में होता है. जाड़े के मौसम में प्रदूषण पीक पर होता है. ऐसे मौसम में किसी भी स्वस्थ आदमी को सुबह से लेकर दोपहर बाद 4 बजे तक कभी भी वॉक नहीं करना चाहिए क्योंकि उस वक्त पॉल्यूटेड एयर सीधा आपकी नाकों में घुस कर फेफड़े आदि को प्रभावित करता है. इस दौरान पॉल्यूशन आपकी नाक की सीध में होता है. अगर घूमना ही है तो आप शाम 4 बजे के बाद घूमें. वैसे भी जाड़े के टाइम में कौन शाम 4 बजे घूमता है. बेहतर है कि आप इनडोर ही कुछ एक्सरसाइज कर लें.

Also Read: कोमालिका बारी : तीरंदाज बिटिया के लिए गरीब पिता ने बेच दिया था घर, अब ऐसे देश की शान बढ़ा रही गोल्डन गर्ल

क्या खाना है बेहतर

डॉ रे ने जोर देकर कहा कि पॉल्यूशन के इस युग में जितनी भी हरी सब्जियां खा सकते हैं, खाएं. खास कर टमाटर की चटनी या टमाटर की सब्जी हर किसी को जरूर खानी चाहिए. अगर पॉकेट अलाऊ करे तो समुद्री मछलियां खानी चाहिए क्योंकि उनमें फैट और प्रोटीन बेहतर होते हैं. रेड मटन हरगिज नहीं खाना चाहिए. चिकन चल सकता है, लेकिन हरी सब्जी सबसे शानदार विकल्प है. इसे जरूर खाना चाहिए. उन्होंने चेताया कि एयर पॉल्यूशन के कारण कैंसर के भयावह होने का खतरा वायु प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता रहा तो बढ़ सकती है. कैंसर मरीजों की संख्या 37 लाख से बढ़कर करोड़ में पहुंच जाएगी. इस संगोष्ठी में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत मुख्य अतिथि थे. डॉ एम के जमुआर ने विषय प्रवेश कराया. शिवानी लता ने धन्यवाद ज्ञापन किया. विशिष्ट अतिथि के रूप में आईएनए के डा पी के सिंह और सदर अस्पताल के डॉ विमलेश कुमार सिंह उपस्थित थे. धर्मेन्द्र तिवारी ने स्वागत संबोधन किया.

Also Read: बिकती बेटियां: बचपन छीन खेलने-कूदने की उम्र में बच्चियों की जिंदगी बना दे रहे नरक, कैसे धुलेगा ये दाग ?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें