अर्नेस्ट एंड यंग को हटाया गया : सीएम ने किया मना, इज ऑफ डूइंग बिजनेस का है सलाहकार

उद्योग विभाग द्वारा इज अॉफ डूइंग बिजनेस के लिए नियुक्त सलाहकार अर्नेस्ट एंड यंग को अवधि विस्तार देने से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मना कर दिया है. वर्ष 2015 से यह कंपनी उद्योग विभाग के लिए बतौर सलाहकार काम कर रही थी

By Pritish Sahay | June 18, 2020 3:36 AM

सुनील चौधरी, रांची : उद्योग विभाग द्वारा इज अॉफ डूइंग बिजनेस के लिए नियुक्त सलाहकार अर्नेस्ट एंड यंग को अवधि विस्तार देने से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मना कर दिया है. वर्ष 2015 से यह कंपनी उद्योग विभाग के लिए बतौर सलाहकार काम कर रही थी. इसका कार्यकाल मार्च-2020 तक ही था. उसी दौरान सीएम के यहां कंपनी के अवधि विस्तार की संचिका भेजी गयी. तब मुख्यमंत्री ने विभाग से ही पूछा कि इस कंपनी को रखने से झारखंड को क्या लाभ हुआ है. इसकी जानकारी दी जाये.

इसके बाद विभाग ने बताया कि वर्ष 2015 में कंपनी को इज अॉफ डूइंग बिजनेस के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया था. यह कंपनी मोमेंटम झारखंड के आयोजन में भी नॉलेज पार्टनर के रूप में कार्यरत थी, जिसका अनुबंध वर्ष 2018 में समाप्त हो गया. इसके बाद कंपनी इज अॉफ डूइंग बिजनेस के लिए उद्योग विभाग के सलाहकार के तौर पर पिछले पांच वर्ष से काम कर रही थी. कंपनी का मुख्य काम था सुधार के लिए कानूनों में बदलाव के लिए संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित करना.

30 लाख रुपये प्रतिमाह का होता था भुगतान : सीएम ने इस मामले में हो रहे खर्च को लेकर भी पूछा था. बताया गया कि करीब 15 लोग उद्योग विभाग में काम करते हैं. इसके एवज में कंपनी को लगभग 30 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है. मुख्यमंत्री ने इस खर्च के औचित्य पर ही सवाल उठाते हुए कंपनी को अवधि विस्तार देने से इंकार कर दिया. इसके बाद जून माह के प्रथम सप्ताह से सलाहकार कंपनी के पदाधिकारियों ने उद्योग विभाग के सिंगल विंडो कार्यालय में बैठना बंद कर दिया है.

गांवों में बढ़ेगी जमीन की सरकारी दर : ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन की दर बढ़ायी जायेगी. राजस्व भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग दर बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इस पर सहमति के बाद अगस्त से जमीन की दर बढ़ सकती है. इससे पहले ग्रामीण इलाके की जमीन की कीमत 2018 में बढ़ी थी. सूत्रों के अनुसार अभी 10 से 20 फीसदी तक दर में वृद्धि का प्रस्ताव तैयार होगा.

कुछ इलाके में यह दर अधिक भी हो सकती है. संबंधित क्षेत्र तथा वहां जमीन के महत्व के आधार पर यह वृद्धि होनी है. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि नयी दर से राजस्व में भी वृद्धि होगी. सरकार मानती है कि कुछ जगह जमीन की सरकारी दर काफी कम है.

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