Explainer: झारखंड की 30 हजार से अधिक महिलाओं की कैसे बदल गयी जिंदगी? अब नहीं बेचतीं हड़िया-शराब
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का शुभारंभ किया गया था. हड़िया और शराब बिक्री एवं निर्माण कार्य से जुड़ी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका प्रदान करने के उद्देश्य से फूलो झानो आशीर्वाद अभियान की शुरुआत की गयी थी.
रांची, गुरुस्वरूप मिश्रा: झारखंड में फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के जरिए हड़िया-दारू बेचकर जीवन-यापन करने को विवश महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं, ताकि वे भी सम्मान की जिंदगी जी सकें और अपने परिवार को आर्थिक मजबूती दे सकें. इस योजना के तहत महिलाओं को दिया जाने वाला ऋण ब्याजमुक्त होता है. इस योजना का बड़ा असर दिखने लगा है. हड़िया-दारू बेचनेवाली महिलाएं अपनी मर्जी के अनुसार स्वरोजगार कर इज्जत के साथ अच्छी आमदनी कर रही हैं और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाते हुए झारखंड को नशामुक्त बनाने में अहम योगदान दे रही हैं. 20 सितंबर 2020 को शुरू हुए फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से अब तक 30,013 महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं. अब ये हड़िया-शराब बेचना छोड़कर सम्मान की जिंदगी जी रही हैं. सबसे खास बात ये कि इससे गांव भी नशामुक्त हो रहे हैं. एक तरफ जहां महिलाएं शराब बेचना छोड़कर स्वरोजगार कर रही हैं और इज्जत की जिंदगी जीकर परिवार को सहयोग कर रही हैं, वहीं झारखंड को नशामुक्त बनाने की दिशा में भी ये जुटी हुई हैं. इससे न सिर्फ महिलाओं की जिंदगी गुलजार हो गयी है, बल्कि घर की बात तो छोड़िए गांव में भी किसी महिला द्वारा हड़िया-शराब की बिक्री नहीं की जा रही है.
फूलो झानो आशीर्वाद अभियान 20 सितंबर 2020 को शुरू था शुरू
झारखंड में हड़िया और शराब की बिक्री एवं निर्माण कार्य से जुड़ी महिलाओं के दिन बहुरने लगे हैं. मुख्यमंत्री के सार्थक प्रयास का प्रतिफल है कि 20 सितंबर 2020 को शुरू हुए फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के जरिए हड़िया और शराब बिक्री एवं निर्माण कार्य से जुड़ी 30,013 महिलाओं ने सम्मानजनक आजीविका को अपने जीवन का आधार बनाया और आज ये महिलाएं समाज में बदलाव की कहानी गढ़कर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैं.
फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से बदली गीता की जिंदगी
बोकारो जिले के चास प्रखंड की शांति आजीविका सखी मंडल की गीता देवी बताती हैं कि वे पहले हड़िया-दारू बेचती थीं. रोजगार का कोई साधन नहीं था. मजबूरन हड़िया-दारू बेचकर परिवार चलाती थीं. सखी मंडल की दीदियों ने उनसे नशामुक्त गांव बनाने में सहयोग का आग्रह किया और सखी मंडल से जुड़कर स्वरोजगार का विकल्प दिया. सखी मंडल से मिले ऋण से अब वे खेती-बारी कर रही हैं और अच्छी आमदनी के साथ-साथ सम्मान की जिंदगी भी जी रही हैं. वे कहती हैं कि अवैध शराब की बिक्री से न सिर्फ घर में झगड़ा-झंझट होता रहता था, बल्कि घर में अशांति भी रहती थी. शराब बेचकर ठीक से परिवार चलाना भी मुश्किल होता था. अब खेती-बारी से नयी जिंदगी मिली है. घर में खुशियां लौट आयी हैं. वे कहती हैं कि फूलो झानो आशीर्वाद अभियान ने उनकी जिंदगी बदल दी.
सम्मानजनक आजीविका व परिवार को कर रहीं आर्थिक मदद
बदलाव की ये कहानी सिर्फ गीता की नहीं है. बोकारो में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हड़िया-दारू बेचना छोड़ दिया है और खेती-बारी, पशुपालन एवं बतखपालन समेत अन्य स्वरोजगार से जुड़कर जिंदगी की नयी शुरुआत कर चुकी हैं. अपने-अपने गांव को नशामुक्त बना रही हैं. बदलाव की दूत सखी मंडल की इन दीदियों को जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित भी किया गया है. ये कुछ उदाहरण हैं, जिनकी जिंदगी में फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से बहार आ गयी हैं. परिवार में खुशियां लौट आयी हैं. ये महिलाएं सम्मानजनक आजीविका के साथ परिवार को आर्थिक सहयोग भी कर रही हैं.
खुद बेचना छोड़ीं, गांव में कोई नहीं बेचता हड़िया-शराब
गिरिडीह के डुमरी ब्लॉक की श्वेता हांसदा कहती हैं कि वे कमल आजीविका सखी मंडल की सदस्य हैं. पहले हड़िया-दारू बेचकर दो से ढाई हजार रुपये कमा लेती थीं, लेकिन ठीक से परिवार चलाना मुश्किल होता था. लड़ाई-झगड़ा और मारपीट अलग. काम में सुकून नहीं था. कोई काम नहीं था, तो मजबूरी में हड़िया-दारू बेचती थी. तभी सखी मंडल की दीदियों ने नशा के दुष्परिणाम और स्वरोजगार के विकल्पों की जानकारी दी. अब जिंदगी पूरी तरह बदल गयी है. वे हड़िया-दारू बेचना छोड़कर अपनी दुकान चला रही हैं. इसके लिए उन्हें सखी मंडल से ऋण मिला था. अब उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गयी है. अच्छी आमदनी के साथ सबसे खुशी की बात ये है कि वह अपनी दुकान की मालकिन बन गयी हैं. इज्जत के साथ काम कर परिवार को आर्थिक सहयोग कर रही हैं. वह गर्व के साथ कहती हैं कि उनके गांव में अब कोई हड़िया-दारू नहीं बेचता है. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से उनकी जिंदगी बदल गयी है. इसका उनके गांव में भी असर दिखता है.
जागरूकता ने निभाया अहम किरदार, सरकार से मिला सहयोग
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का शुभारंभ किया गया था. हड़िया और शराब बिक्री एवं निर्माण कार्य से जुड़ी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका प्रदान करने के उद्देश्य से फूलो झानो आशीर्वाद अभियान की शुरुआत की गयी थी.
सितंबर 2020 से फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का पहला चरण शुरू
झारखंड में फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का प्रथम चरण सितंबर 2020 से प्रारंभ हुआ. सर्वेक्षण के माध्यम से इस कार्य से जुड़ी महिलाओं की संख्या 15,284 दर्ज की गयी थी. इनके बीच जागरूकता अभियान चलाया गया, ताकि ये वैकल्पिक सम्मानजनक आजीविका गतिविधियों से जुड़कर अपने जीवन को नई दिशा दे सकें.
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सरकार को मिली बड़ी सफलता, 14,243 महिलाओं को मिला रोजगार
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को इसमें सफलता मिली और 14,243 महिलाओं को रोजगार के अन्य वैकल्पिक साधनों से जोड़ा गया. इस चरण में महिलाओं के बीच ब्याज मुक्त कुल 1,424.3 लाख ऋण की सहयोग धनराशि उपलब्ध कराई गयी.
फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का दूसरा चरण 15 नवंबर 2021 से शुरू
इसकी सफलता के बाद फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का दूसरा चरण 15 नवंबर 2021 से 28 दिसंबर 2021 तक संचालित किया गया. इसमें सर्वेक्षण के माध्यम से 9, 474 महिलाएं चिन्हित हुईं और 9, 291 महिलाओं को वैकल्पिक सम्मानजनक आजीविका गतिविधियों से जोड़ने में सफलता मिली. इन्हें रोजगार के अन्य साधनों से जोड़ने के लिए 929.1 लाख ब्याज मुक्त धनराशि उपलब्ध कराई गई.
अब तक 30,013 महिलाएं फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से बदलीं जिंदगी
इस तरह दो चरण में फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत 2,353.4 लाख की धनराशि महिलाओं को स्वरोजगार के लिए दिया गया. इसके बाद भी अभियान नहीं रुका. हड़िया और शराब बिक्री एवं निर्माण कार्य से जुड़ी महिलाओं को चिन्हित करने का कार्य पूरे झारखंड में चलता रहा. इसका परिणाम है कि अब तक 30,013 महिलाओं को इस योजना से जोड़कर बेहतर जीवन के अवसर प्रदान करने में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को सफलता प्राप्त हुई है.
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फूलो झानो आशीर्वाद अभियान है बेहद खास
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फूलो झानो आशीर्वाद अभियान 20 सितंबर 2020 से शुरू हुआ.
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हड़िया-शराब की बिक्री एवं निर्माण से जुड़ी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका देने के लिए शुरू हुआ था फूलो झानो आशीर्वाद अभियान
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हड़िया व शराब बनाकर बेचने वाली महिलाओं के दिन बहुरने लगे हैं.
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सितंबर 2020 से फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का पहला चरण हुआ शुरू.
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सर्वेक्षण के अनुसार 15,284 महिलाएं शराब-हड़िया की बिक्री में लगी थीं.
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शराब-हड़िया बेचने वाली 14,243 महिलाओं को रोजगार से जोड़ दिया गया. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का दूसरा चरण चरण 15 नवंबर 2021 से 28 दिसंबर 2021 तक चला.
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दूसरे सर्वेक्षण में हड़िया-शराब बेचने वाली 9, 474 महिलाएं चिन्हित की गयीं.
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9, 291 महिलाओं को वैकल्पिक सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा गया.
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अब तक 30,013 महिलाओं को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जोड़ा गया.
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महिलाओं को आजीविका के अन्य साधन जैसे-मुर्गीपालन, बत्तखपालन, गौपालन, खेती-बारी, सिलाई, दुकान, होटल, दीदी बाड़ी योजना से जोड़ा जाता है.
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क्या है फूलो झानो आशीर्वाद अभियान
जो महिलाएं हड़िया-दारू बेचकर अपना या अपने परिवार का गुजारा करती हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से फूलो झानो आशीर्वाद अभियान का शुभारंभ किया गया था. इसका उद्देश्य था उन महिलाओं को सम्मानजनक जिंदगी देकर स्वावलंबी बनाना. इसमें झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को बड़ी सफलता हाथ लगी है. अब तक 30,013 महिलाएं फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जुड़ चुकी हैं. ये महिलाएं हड़िया-दारू बेचना छोड़कर आजीविका के अन्य साधन जैसे-मुर्गीपालन, बतखपालन, गौपालन, खेती-बारी, सिलाई, दुकान, होटल, दीदी बाड़ी योजना समेत अन्य स्वरोजगार से जुड़ गयी हैं और इज्जत की जिंदगी जी रही हैं.