टैक्स कलेक्शन एजेंसी स्पैरो को एक्सटेंशन : पेयजल विभाग को नहीं भेजी जायेगी वाटर यूजर चार्ज की राशि
रांची शहर में होल्डिंग, वाटर यूजर चार्ज वसूलने व ट्रेड लाइसेंस बनाने का काम स्पैरो सॉफ्टटेक कंपनी ही करेगी
रांची : रांची शहर में होल्डिंग, वाटर यूजर चार्ज वसूलने व ट्रेड लाइसेंस बनाने का काम स्पैरो सॉफ्टटेक कंपनी ही करेगी. मंगलवार को सेलिब्रेशन हॉल करमटोली में निगम परिषद की बैठक में कंपनी को एक्सटेंशन दिया गया. बैठक में वाटर यूजर चार्ज की राशि सरकार को नहीं भेजने पर सहमति बनी.
अब शहर के लोगों से वसूला जाने वाला वाटर यूजर चार्ज निगम अपने पास ही रखेगा. निगम परिषद में लिये गये इन फैसलों से निगम व राज्य सरकार के बीच विवाद बढ़ सकता है. क्योंकि, टैक्स कलेक्टिंग एजेंसी के चयन के लिए नगर विकास विभाग के सूडा ने पहले ही टेंडर निकाल रखा है. वहीं जल कर की राशि मुख्य सचिव के आदेश पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को भेजा जाती थी.
अधिनियम के तहत कंपनी को मिला एक्सटेंशन : मेयर ने कहा कि जब से स्पैरो कंपनी का चयन हुआ है, तब से निगम की राजस्व वसूली में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन, सूडा का कहना है कि निगम इस तरह राजस्व वसूली नहीं कर सकता है. सूडा चाहता है कि नयी कंपनी का चयन हो और राजस्व वसूली का काम सीधे विभाग करे. मेयर ने कहा है कि राजस्व वसूली निगम का आंतरिक स्रोत है. झारखंड नगर पालिका अधिनियम में भी लिखा हुआ है कि राजस्व वसूली का काम निगम का है. अधिनियम को देखने के बाद ही कंपनी को सेवा विस्तार देने का फैसला लिया गया.
टेंडर फाइनल होने तक पार्किंग स्टैंड निःशुल्क : मेयर ने कहा कि शहर के बाजार, पार्किंग व पड़ाव से निगम को काफी राजस्व मिलता है. कोरोना के कारण दो माह से यह बंद था. अब निगम दोबारा इन जगहों से पार्किंग शुल्क वसूलने की तैयारी कर रहा है. यह अभी स्थगित रहेगा, जब तक कि नये सिरे से पार्किंग, हाट बाजार व पड़ाव का टेंडर न निकल जाये.
वेंडर मार्केट की देखरेख खुद नगर निगम करेगा : अटल वेंडर मार्केट के मेंटेनेंस का काम फिलहाल नगर निगम ही करेगा. इस संबंध में मेयर ने कहा कि जिस एजेंसी को देखरेख का काम दिया गया था. उसके एवज में निगम को मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही थी. मेयर ने कहा कि दूसरे और तीसरे तल्ले में बनी दुकानों को किराये पर लगाने के बाद ही मेंटेनेंस का काम किसी निजी एजेंसी को सौंपा जायेगा.
लॉज व हॉस्टल का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जायेगा : बैठक में निर्णय लिया गया कि अधिक से अधिक लॉज व हॉस्टल संचालक निगम से लाइसेंस प्राप्त करें. इसके लिए 2009 से पहले बने भवनों को लाइसेंस के लिए नक्शा जमा करने की बाध्यता नहीं होगी. उसके बाद बने भवनों को नक्शा निगम में जमा करना होगा. निगम परिषद से स्वीकृत यह प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जायेगा. सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे शहर में लागू किया जायेगा.
posted by : Pritish Sahay