रांची, शकील अखतर : ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम की काली कमाई को जायज करार देने के लिए फर्जी कंपनियां खोली गयीं. इन फर्जी कंपनियों के खातों में 109.18 करोड़ रुपये जमा किये गये. इसमें से 4.29 करोड़ रुपये बीरेंद्र के पिता गेंदा राम के खाते में ट्रांसफर किये गये. बाकी रकम पानेवालों की तलाश प्रवर्तन निदेशालय (इडी) कर रहा है. इन कंपनियों के नाम पर बैंक अकाउंट खोलने के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया. इसमें फर्जी नाम से बने परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) और आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज शामिल हैं. मुख्य अभियंता के सीए मुकेश मित्तल के निर्देश पर फर्जी दस्तावेज तैयार कराये गये. ताराचंद नामक व्यक्ति ने अपनी तस्वीर लगा कर सचिन गुप्ता के फर्जी नाम से सारे दस्तावेज बनवाये. इडी द्वारा जारी जांच के दौरान इस जालसाजी का खुलासा हुआ है.
इडी ने जांच के दौरान पाया कि बीरेंद्र राम के पिता गेंदा राम के खाते में राकेश कुमार केडिया, मनीष और नेहा श्रेष्ठ के खातों से पैसा ट्रांसफर किया गया है. तीनों के खातों की जांच में पाया गया कि इनके खातों में तीन कंपनियों के खातों से पैसे ट्रांसफर किये गये थे. खातों में खाटू श्याम ट्रेडर्स, अनिल कुमार गोविंद राम ट्रेडर्स और ओम ट्रेडर्स के खातों से पैसे ट्रांसफर किये गये हैं. इन कंपनियों के खाते में वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22 और 2022-23 की अवधि में कुल 109.18 करोड़ रुपये जमा हुए हैं.
ईडी ने जांच में पाया कि इन कंपनियों को सचिन गुप्ता नामक व्यक्ति ने खोला है, लेकिन तीनों कंपनियों के खोलने के लिए अलग अलग पैन का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि तीनों पैन पर एक ही व्यक्ति की तस्वीर लगी है. काफ़ी तलाश के बाद सचिन गुप्ता (पिता अशरफ़ी लाल गुप्ता) का कहीं पता नहीं चला. इसके बाद इडी ने इन कंपनियों के नाम पर खोले गये खातों की जानकारी और माबाईल नंबर की जानकारी बैंक से मांगी. बैंक द्वारा इडी को यह जानकारी दी गयी कि बैंक खातों को मोबाइल नंबर 9891069772 से लिंक किया गया है. मोबाइल नंबर की जांच के दौरान यह पाया गया कि इसे ताराचंद (पिता कल्याण प्रसाद) के नाम पर जारी किया गया है. इसके बाद इडी ने ताराचंद को बुला कर पूछताछ की. इसमें ताराचंद ने यह स्वीकार किया कि सचिन गुप्ता के नाम पर बने पैन सहित अन्य दस्तावेज उसी के हैं. सीए मुकेश मित्तल के निर्देश पर फ़र्ज़ी दस्तावेज तैयार किये गये और कंपनी बना कर इसी दस्तावेज के सहारे बैंक खाते खोले गये.