रांची (विशेष संवाददाता). बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा है कि बेहतर टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी) के इस्तेमाल से ही किसानों को गुणवत्तायुक्त उत्पाद मिलेगा. लागत में कमी आयेगी. साथ ही बेहतर लाभ भी होगा. डॉ दुबे बुधवार को विवि एनएसएस तथा दूरदर्शन के सहयोग से कृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर आयोजित कैंपस कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कृषि जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग फसलों का गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस (गैप) तैयार करना होगा और किसानों को बताना होगा. आइसीएआर और कृषि विवि द्वारा फसल उत्पादन एवं प्रबंधन संबंधी तकनीकी की जानकारी देने के लिए सैकड़ों ऐप तैयार किये गये हैं. इनका इस्तेमाल करना चाहिए. मौसम परिवर्तन के आधार पर फसल वेराइटी के विकास को प्राथमिकता देनी होगी. कुलपति ने कहा कि जिन कीटनाशकों का प्रयोग जिन क्षेत्रों, फसलों के लिए भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है, उनका ही प्रयोग करना चाहिए. इनका अविवेकपूर्ण इस्तेमाल अपराध की श्रेणी में आता है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक जब किसानों, प्रसार कार्यकर्ताओं और उद्यमियों को प्रशिक्षण देने जायें, तो सरकार की विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी स्कीम की भी जानकारी उपलब्ध करायें. एग्रीकल्चर डीन डॉ डीके शाही ने कृषि में रोबोटिक्स, प्रेसीजन तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन के इस्तेमाल और कृषि मशीनीकरण के फायदों की जानकारी दी. इससे पूर्व आगंतुकों का स्वागत डॉ बीके झा और संचालन डॉ नीतू कुमारी ने किया.
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