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जांच में हुई पुष्टि, झारखंड में किसानों की योजनाओं का इस्टीमेट दोगुना, पर कोई कार्रवाई नहीं

दुमका जिले में फूलों और कीट रहित सब्जी की खेती के लिए आधारभूत संरचना निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत के बाद कृषि विभाग ने अगस्त 2021 में जांच का आदेश जारी किया था

रांची, शकील अख्तर:

सरकार द्वारा करायी गयी जांच में किसानों से जुड़ी योजनाओं का इस्टीमेट (प्राक्कलन) दोगुना होने की पुष्टि हुई है. फूलों की खेती और कीट रहित सब्जी की खेती के लिए तैयार संरचना में किसी भी किसान द्वारा अपने हिस्से की रकम देने के सबूत नहीं मिले. इसके बावजूद खेती के लिए आधारभूत संरचनाओं का निर्माण हुआ.

संरचना बनाने में लगी कंपनी ने संरचना का आकार कम कर मुनाफा कमाया. दुमका जिले में फूलों और कीट रहित सब्जी की खेती के लिए आधारभूत संरचना निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत के बाद कृषि विभाग ने अगस्त 2021 में जांच का आदेश जारी किया था. सरकार के आदेश के आलोक में जिले के तत्कालीन डीसी ने जांच के लिए समिति का गठन किया. समिति में अपर समाहर्ता श्यामनारायण राम, कार्यपालक अभियंता उदय कुमार सिंह और संयुक्त कृषि निदेशक अजय सिंह शामिल थे.

समिति ने अप्रैल 2022 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. पर अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. समिति ने शिकायत की जांच के लिए दर्ज भर योजनाओं को चुना और स्थल निरीक्षण किया. समिति ने जांच में पाया कि फूलों की खेती और कीट रहित सब्जी की खेती के लिए आधारभूत संरचना निर्माण का काम मेसर्स शशांका एग्रोटेक ने किया था.

जांच के दौरान कंपनी को आधारभूत संरचना निर्माण के बदले सिर्फ सरकारी हिस्से की राशि का भुगतान पाया गया. किसी भी किसान द्वारा अपने हिस्से की राशि के भुगतान का कोई सबूत नहीं मिला. संरचना का निर्माण निर्धारित क्षेत्रफल के मुकाबले कम पाया गया.

केस-4

जरमुंडी प्रखंड के ठेकचाघोंघा पंचायत, ग्राम वोगली के दिवा कांत कुमार का चयन लाभुक के रूप में किया गया था. वर्ष 2019-20 में 13.20 लाख की लागत पर फूलों की खेती के लिए संरचना का निर्माण किया जाना था. जांच के दौरान 1000 वर्ग मीटर के बदले 980 वर्ग मीटर संरचना पायी गयी. संरचना में जरबेरा की खेती पायी गयी. संरचना निर्माण के बदले सिर्फ सरकारी हिस्से की राशि 6.20 का भुगतान किया गया था. किसान के हिस्से की राशि के भुगतान का सबूत नहीं मिले.

केस-5

दिवा कांत की पत्नी रेणु देवी का लाभुक के रूप में चयन किया गया था. 7.10 लाख की लागत पर 2016-17 में फूलों की खेती के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाना था. जांच में संरचना (जाली, पाइप वगैरह) जीर्ण-शीर्ण स्थिति में मिली. लागत का 50 प्रतिशत किसान और 50 प्रतिशत सरकार द्वारा दिया जाना था. लाभुक द्वारा संरचना का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था. संरचना निर्माण के बदले सिर्फ सरकार के हिस्से की राशि 3.55 लाख का भुगतान किया गया था. किसान के हिस्से की राशि के भुगतान का कोई सबूत नहीं मिला.

केस-6

जरमुंडी प्रखंड के सुखजोरा ग्राम निवासी राम जीवन मांझा का चुनाव लाभुक के रूप में किया गया था. तीन लाख की लागत पर कीट रहित सब्जी के लिए संरचना का निर्माण किया जाना था. लागत का 75 प्रतिशत सरकार और 25 प्रतिशत किसान द्वारा भुगतान किया जाना था. जांच के दौरान संरचना सही स्थिति में पायी गयी. हालांकि, खेती नहीं की गयी थी. संरचना निर्माण के बदले सरकारी हिस्से की राशि 2.25 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. किसान के हिस्से की 75 हजार रुपये के भुगतान का कोई सबूत नहीं मिला.

केस-01

फूलों की खेती के लिए 13.20 लाख की लागत पर आधारभूत संरचना के लिए लाभुक के रूप में रविंद्र नाथ गोराई (रानेश्वर प्रखंड, ग्राम बांसकुली) का चयन किया गया था. जांच के दौरान जरबेरा फूलों की खेती पायी गयी. संरचना का निर्माण 1000 वर्ग मीटर के बदल 820 वर्ग मीटर पाया गया. किसान द्वारा अपने हिस्से की राशि 6.20 लाख रुपये के भुगतान का कोई सबूत नहीं मिला. संरचना का निर्माण सिर्फ सरकारी हिस्से की राशि से किया गया था.

केस-02

रानेश्वर प्रखंड के बांसकुली ग्राम निवासी उपाली प्रकाश का चयन लाभुक के रूप में किया गया था. 2019-20 में 9.80 लाख की लागत पर पॉली हाउस का निर्माण किया जाना था. जांच के दौरान 200 वर्ग मीटर की संरचना पायी गयी. संरचना में खेती नहीं हो रही थी. लागत का 75 प्रतिशत सरकार को और 25 प्रतिशत किसान को देना था. जांच में सिर्फ सरकारी राशि के भुगतान का ब्योरा पाया गया. किसान के हिस्से की राशि के भुगतान का कोई सबूत नहीं मिला.

जरमुंडी प्रखंड, ग्राम सुखजोरा, बिशनपुर टोला में 13.20 लाख की लागत पर फूलों की खेती के लिए आधारभूत संरचना के लाभुक के रूप में पीयूष परिमल का चयन हुआ था. कुल लागत का 50 प्रतिशत सरकार को और 50 प्रतिशत किसान को देना था. संरचना का निर्माण वित्तीय वर्ष 2020-21 में किया गया. जांच में संरचना निर्माण 1000 वर्ग मीटर के बदले 896 वर्ग मीटर पर पाया गया. लाभुक द्वारा संरचना का इस्तेमाल किया जा रहा है. किसान के हिस्से की राशि के भुगतान का सबूत नहीं मिला. यानी सिर्फ सरकार के हिस्से की राशि से संरचना का निर्माण हुआ.

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