झारखंड: फाइलेरिया से प्रभावित 9 जिलों में चलेगा अभियान, घर-घर जाकर स्वास्थ्यकर्मी खिलाएंगे दवा
डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यह है कि आप सब सुनिश्चित करें कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाओं का वितरण नहीं, बल्कि प्राशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने लाभार्थियों द्वारा दवा का सेवन सुनिश्चित किया जाये.
रांची: झारखंड सरकार लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) के उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्ध है. राज्य सरकार द्वारा 10 अगस्त से 25 अगस्त तक झारखंड के 9 फाइलेरिया प्रभावित जिलों (हजारीबाग, चतरा, पलामू, लातेहार, दुमका, गोड्डा, सरायकेला, जामताड़ा और पश्चिमी सिंहभूम) में फाइलेरिया रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए आज सोमवार को स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम) डॉ वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में इन 9 जिलों के पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया.
डॉ वीरेंद्र कुमार ने बताया प्रशिक्षण का उद्देश्य
डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यह है कि आप सब सुनिश्चित करें कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाओं का वितरण नहीं, बल्कि प्राशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सामने लाभार्थियों द्वारा दवा का सेवन सुनिश्चित किया जाये. क्षेत्र में कार्यक्रम के दौरान होने वाले किसी भी प्रकार के अवरोध को दूर किया जाये. उन्होंने कहा कि राज्य से फाइलेरिया के शीघ्र उन्मूलन के लिए हम सबको प्रतिबद्धता से कार्य करने की आवश्यकता है. कार्यक्रम के दौरान सभी पात्र लाभार्थियों द्वारा फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन किया जाना सुनिश्चित करें.
घर-घर जाकर खिलाई जाएगी खुराक
डॉ वीरेंद्र कुमार ने बताया कि अगस्त में शुरू किये जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार डीईसी और अलबेंडाजोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ़्त खिलाई जाएगी. जिन जिलों में आईडीए है, वहां डीईसी और अलबेंडाजोल के साथ आईवरमेक्टिन भी खिलाई जायेगी. उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी आयुवर्ग में होने वाला फाइलेरिया संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है.
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23,443 मरीजों का हुआ सफल ऑपरेशन
फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडिमा (अंगों में सूजन) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक भेदभाव सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है. डॉ सिंह ने कहा कि अप्रैल 2023 तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार राज्य में लिम्फेडिमा (अंगों में सूजन) के लगभग 54,172 मरीज़ हैं और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के 40561 मरीज़ हैं, जिनमें से 23,443 मरीजों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है.
दिव्यांग और अक्षम बना देती है फाइलेरिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ अभिषेक पॉल ने लिम्फेटिक फाइलेरिया बीमारी की गंभीरता को समझाते हुए इसके उन्मूलन को लेकर प्राथमिकता के साथ मिशन मोड में कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि यह बीमारी लोगों को दिव्यांग और अक्षम बना देती है. कार्यक्रम की प्रतिदिन मॉनीटरिंग और समीक्षा की जायेगी ताकि अगर कोई भी समस्या आये तो तुरंत उसका निदान किया जा सके.
8 अगस्त को होगी मीडिया कार्यशाला
ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि अनुज घोष ने बताया कि मीडिया सहयोगियों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आगामी 8 अगस्त को सभी 9 जिलों में मीडिया सहयोगियों के संवेदीकरण को लेकर मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, ताकि सभी लोगों तक जानकारी पहुंच सके. इस अवसर पर प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मिथिलेश और केयर संस्था के प्रतिनिधि अविनाश ने भी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के दौरान उनकी संस्थाओं द्वारा राज्य सरकार को दिए जा रहे सहयोग के बारे में बताया.