झारखंड :राज्य भर में संचालित वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों ने गुरुवार को राजभवन के सामने धरना दिया. इस दौरान अलग-अलग जिलों से आए सैकड़ों शिक्षाकर्मी उपस्थित थे. इस धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी. इस दौरान एक अनोखी तस्वीर देखने को मिली. दरअसल, संस्कृत शिक्षक पीले कपड़े पहन कर आए थे और जबकि मदरसा के शिक्षक टोपी पहन कर आए थे.
राज्यपाल के नाम सौंपा तीन सूत्री मांगों वाला ज्ञापन
इस धरने के बाद झारखंड राज्य शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ओर से तीन सूत्री मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन साैंपा गया. इससे पूर्व धरना स्थल पर वक्ताओं ने अपनी मांग रखते हुए कहा कि जैक द्वारा इंटरमीडिएट कॉलेजों में नामांकन के लिए सीट कम करने के निर्णय को वापस लिया जाए. आगे उन्होंने कहा कि वित्तरहित संस्थानों को चौगुना अनुदान के लिए विभागीय प्रस्ताव को विधि व वित्त की सहमति के बाद कैबिनेट को भेजा जाए. मांग में यह भी कहा कि बिहार के नियोजित शिक्षकों की तर्ज पर वित्तरहित स्कूल व इंटर कॉलेज के शिक्षक-कर्मचारियों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. इस दौरान ओडिशा की तर्ज पर घाटानुदान देने की मांग भी उन्होंने रखी.
एसपीटी एक्ट व सीएनटी एक्ट में छूट
शिक्षकों ने कहा कि एसपीटी एक्ट व सीएनटी एक्ट में भूमि की शर्त में छूट देने के संलेख को कैबिनेट में भेजा जाए. वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22 , 2022 -23 व 2023-24 में जिन स्कूलों तथा इंटर कॉलेज का अनुदान लंबित है, उसे अविलंब देने की मांग की गई. वक्ताओं ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुदान की जो 27 प्रतिशत राशि बची हुई है, उसे इसी माह में दिया जाए.
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर रघुनाथ सिंह, संजय कुमार, नरोत्तम सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, मनीष कुमार, अरविंद सिंह, कुंदन कुमार सिंह, गणेश महतो, डालेश चौधरी, बिरसो उराव, देवनाथ सिंह, अनिल तिवारी, संगीता मेहता, रघु विश्वकर्मा, रंजीत मिश्रा, फुलेश्वरी देवी, ललिता कुमारी सहित सैकड़ो शिक्षककर्मी उपस्थित थे.
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