Court News : सीजीएल परीक्षा मामले में शिकायत पर तत्काल एफआइआर दर्ज हो : हाइकोर्ट

Court News : हाइकोर्ट ने सीजीएल परीक्षा 2023 मामले में प्रार्थियों द्वारा की गयी शिकायत पर तत्काल एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 19, 2024 12:06 AM

रांची. हाइकोर्ट ने सीजीएल परीक्षा 2023 मामले में प्रतिवादी राज्य सरकार, मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रधान सचिव व सदर थाना प्रभारी को प्रार्थियों द्वारा की गयी शिकायत पर तत्काल एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया है. साथ ही आरोपों की जांच करने और अगली सुनवाई की तारीख तक जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. कहा है कि उक्त प्रतिवादी अगली तिथि तक अनिवार्य रूप से प्रति-शपथ पत्र भी दाखिल करेंगे. इधर, झारखंड हाइकोर्ट में सीजीएल परीक्षा-2023 में गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच को लेकर दायर पीआइएल में पारित आदेश अपलोड हो गया है.

अगले आदेश तक परिणाम घोषित नहीं करें

चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद कहा कि जब परीक्षा में कथित पेपर लीक का इतना गंभीर मामला है, तब पिछले तीन महीनों से एफआइआर दर्ज करने और इसकी जांच कराने में प्रतिवादियों की निष्क्रियता के लिए कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. यदि उक्त परीक्षा के परिणाम घोषित होते हैं और प्रतिवादियों द्वारा नियुक्तियां की जाती हैं, तो इससे तीसरे पक्ष के हित पैदा होंगे तथा गंभीर पूर्वाग्रह पैदा होगा. इन परिस्थितियों में हम प्रतिवादी जेएसएससी को निर्देश देते हैं कि वह 21 और 22 सितंबर 2024 को उनके द्वारा आयोजित झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा-2023 का परिणाम अगले आदेश तक घोषित नहीं करे.

एफआइआर दर्ज किये बिना ही प्रारंभिक जांच क्यों

खंडपीठ ने कहा कि राज्य के अधिवक्ता हमारे समक्ष ऑनलाइन दर्ज की गयी शिकायत पर एफआइआर दर्ज करने या वर्ष 2023 के अधिनियम के तहत इसकी जांच को दर्शानेवाली कोई भी सामग्री प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं. हम इस बात से हैरान हैं कि जब राज्य द्वारा ऐसे मामलों की जांच के लिए एक विशेष कानून बनाया गया है, तो राज्य सरकार द्वारा उक्त कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. प्रथम दृष्टया, जब कानून किसी काम को करने का एक विशेष तरीका निर्धारित करता है, तो कानून यह है कि केवल उसी तरीके का पालन करना चाहिए और किसी अन्य तरीके का पालन नहीं करना चाहिए. हम यह समझने में विफल हैं कि जब अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज करने के लिए कोई प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं है, तो प्रतिवादी एफआइआर दर्ज किये बिना ही इस तरह की प्रारंभिक जांच क्यों कर रहे हैं.

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