बंद भूमिगत खदान में आग, कभी भी जमींदोज हो सकती है बस्ती

केडीएच के करकट्टा स्थित खिलानधौड़ा बस्ती अंगारों पर बसी हुई है. जमीन के नीचे लगी आग के कारण यह बस्ती कभी भी जमींदोज हो सकती है. हालांकि, इस खतरे को लेकर सीसीएल प्रबंधन सशंकित है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 10, 2024 12:49 AM

सुनील कुमार (डकरा) : केडीएच के करकट्टा स्थित खिलानधौड़ा बस्ती अंगारों पर बसी हुई है. जमीन के नीचे लगी आग के कारण यह बस्ती कभी भी जमींदोज हो सकती है. हालांकि, इस खतरे को लेकर सीसीएल प्रबंधन सशंकित है. प्रबंधन खिलानधौड़ा बस्ती को खाली कराने के प्रयास में जुट गया है. खिलानधौड़ा बस्ती में कुल 150 मकान हैं, जहां करीब 1200 की आबादी रह रही है, जो खतरे में है. आग करीब तीन किमी के दायरे में फैली हुई है. इन इलाकों के पेड़ पौधे भी मर चुके हैं. सुबह से शाम तक जमीन से धुआं निकलता रहता है. केडीएच परियोजना पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह के अनुसार, संभावित खतरे को देखते हुए इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी गयी है. बस्ती के लोगों को खतरे से आगाह किया गया है. प्रबंधन ने हाउस कंपनसेशन प्लान के तहत रैयतों को जमीन खाली करने को कहा है. जमीन खाली करनेवाले रैयतों को मुआवजा देने का भी प्रावधान है. सीसीएल प्रबंधन की ओर से बस्ती के लोगों को आगाह करने का काम शुरू कर दिया गया है. मंगलवार से बस्ती के आवासों पर नोटिस चिपकाने का भी काम शुरू हो चुका है. लाउडस्पीकर से ग्रामीणों को आगाह किया जा रहा है. जगह-जगह सूचना पट्ट लगाये जा रहे हैं. सीसीएल के पीओ कहा कि बस्ती के मुखिया संतोष महली को खतरे की जानकारी दी गयी है. उनसे बस्ती खाली करने में सहयोग करने को कहा गया है.

राज्यसभा में उठ चुका है मामला :

बताया जाता है कि एक वर्ष पहले जमीन के अंदर से धधकती आग बंद भूमिगत कोयला खदान का मुहाने तक आ गयी थी. इसकी जानकारी राज्य सरकार के पदाधिकारियों को भी दी गयी थी. इस मामले को सांसद महुआ माजी ने राज्यसभा में भी उठाया था. इसके बाद सीसीएल प्रबंधन ने त्वरित कार्रवाई कर आग पर मिट्टी डाल उस पर काबू पाया था. लेकिन, आग अब जमीन के अंदर ही फैलती जा रही है. आग को बुझा पाना अब असंभव हो गया है. इस संबंध में एनके एरिया के महाप्रबंधक सुजीत कुमार ने कहा कि खिलावनधौड़ा बस्ती के लोग आग की भयावहता को समझें और सीसीएल को सहयोग करें, ताकि समय रहते बस्ती को खाली कराया जा सके. बस्ती के लोग प्रति व्यक्ति मुआवजा मांग रहे हैं, जो संभव नहीं है. जिसकी रैयती जमीन होगी, उनके लिए नौकरी और मुआवजा का प्रावधान होगा.

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