Ranchi News: केज कल्चर और बंद खदानों में मछली पालन कर लोग आर्थिक रुप से हो रहे सशक्त, जानिए क्या होता है केज कल्चर

मछली उत्पादन में राज्य सरकार का मत्स्य विभाग भी सहयोग कर रहा है. अभी कंपनी ने पांच खदानों को विकसित किया है. केज कल्चर से भी मत्स्य पालन हो रहा है. लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है.

By Manoj singh | October 27, 2024 1:00 PM

Fish Farming|Cage Culture|CCL| रांची: सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की कई बंद खदानों को मत्स्य पालन के लिए उपयोगी पाया गया है. इसे फार्मों में बदल दिया गया है. सीसीएल की मत्स्य पालन परियोजनाएं कई चुनौतियों को दूर करने में सहायक हो रही हैं. वहीं आसपास के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है. पर्यावरण का संरक्षण हो रहा है. स्थानीय समुदायों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत मिल रहा है. वहीं राज्य के मछली उत्पादन में भी योगदान हो रहा है. इसमें राज्य सरकार का मत्स्य विभाग भी सहयोग कर रहा है. अभी कंपनी ने पांच खदानों को विकसित किया है.

केज कल्चर से हो रहा है मत्स्य पालन

कंपनी की अरगड्डा क्षेत्र स्थित गिद्दी-ए मत्स्य पालन परियोजना 28 हेक्टेयर में फैली हुई है. इसमें मछलियों के लिए 22 केज लगाये गये हैं. जिसमें सालाना लगभग 0.72 टन मछली का उत्पादन हो रहा है. इस परियोजना से तेहराटांड, केंडियाटोला और गिद्दी बस्ती के लोगों को लाभ मिल रहा है. झारखंड के हजारीबाग के अरगड्डा क्षेत्र स्थित रेलिगड़ा मछली पालन परियोजना 9.71 हेक्टेयर में फैली हुई है. कुल 20 केज में मछली पालन किया जा रहा है. सालाना लगभग 9.6 टन मछली का उत्पादन हो रहा है. इस परियोजना से रेलिगड़ा और बसकुदरा के आसपास के गांवों के लगभग 100 लोगों को सीधे-सीधे लाभ मिलता है. केज कल्चर मछली पालन की एक तकनीक है, जिसमें पानी के सीमित जगहों पर पिंजरों या जाल के बाड़ों में मछलियों को पाता जाता है। यह पारंपरिक खुले पानी में मछली पालन के तरीकों का एक टिकाऊ विकल्प है।

बोकारो में हो रहा मत्स्य पालन

बोकारो ओसीपी मत्स्य पालन परियोजना 4.22 हेक्टेयर में फैली हुई है. मछलियों के लिए 27 केज लगा है. इस परियोजना से सालाना 81 टन मछली का उत्पादन होता है. इससे 30 स्थानीय परिवारों को लाभ मिलता है. यहां पंगेसियस, रोहू, तेलपिया और कतला आदि का पालन हो रहा है. बरकासयाल क्षेत्र के केंद्रीय सौंदा मत्स्य पालन परियोजना में तेलपिया प्रजाति की मछलियों के लिए 40 केज लगाया गया था. लगभग 250 स्थानीय ग्रामीण सीधे लाभान्वित हो रहे हैं. एनके क्षेत्र में करकट्टा-ए और करकट्टा-सी में मछली पालन हो रहा है. करकट्टा-ए 1.80 हेक्टेयर में फैला है, जिसमें मछलियों के 15 केज लगे हैं. यहां से 200 टन मछली का उत्पादन हो रहा है. करकट्टा-सी मत्स्य पालन परियोजना 4.5 हेक्टेयर में फैली है. यहां 50 केज है. इससे सालाना 800 टन मछलियों का उत्पादन होने का अनुमान है.

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