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Cyber Crime: मनी लाउंड्रिंग के आरोप में कुख्यात साइबर अपराधी प्रदीप मंडल समेत पांच दोषी करार, इनकी कहानी पर बन चुकी है मशहूर वेब सीरीज जामताड़ा

रांची की पीएमएलए कोर्ट ने कुख्यात साइबर अपराधी प्रदीप मंडल समेत पांच साइबर अपराधियों को मनी लाउंड्रिंग के आरोप में दोषी माना है. ईडी ने जामताड़ा थाने में दर्ज मामले में पांच आरोपियों पर मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज किया था और 67 लाख की संपत्ति जब्त की थी.

Cyber Crime : रांची की पीएमएलए कोर्ट ने जामताड़ा के चर्चित साइबर अपराधी प्रदीप मंडल सहित पांच को दोषी करार दिया है. पीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा ने आरोपियों को सजा सुनाने के लिए 23 जुलाई की तिथि निर्धारित की है. न्यायालय द्वारा साइबर अपराधियों को दोषी करार दिये जाने के बाद उन्हें रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

कोर्ट ने क्या कहा अपने फैसले में

पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर आरोप पत्र पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुनाने के लिए 20 जुलाई की तिथि निर्धारित की थी. 20 जुलाई को सभी आरोपी पीएमएलए कोर्ट में हाजिर हुए. अदालत ने आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बाद अपना फैसला सुनाया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सभी पक्षों की दलील और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत इडी द्वारा आरोपित पांचों अभियुक्तों को मनी लाउंड्रिंग के आरोप में दोषी करार देती है.

क्या है मामला

सभी आरोपी इस मामले में पहले जमानत पर थे. ईडी ने जामताड़ा थाने में दर्ज प्राथमिकी संख्या 207/2015 को इसीआइआर के रूप में दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी. जांच के बाद इडी ने सितंबर 2022 में आरोपियों के खिलाफ पहले आरोप पत्र दायर किया था. इससे पहले दायर किये गये आरोप पत्र के आलोक में न्यायालय ने 30 नवंबर 2019 को आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित किया था.

कुख्यात साइबर अपराधी प्रदीप मंडल के अपराध पर बन चुकी है जामताड़ा वेब सीरीज

बता दें कि जामताड़ा में चल रहे साइबर अपराध में प्रदीप मंडल एक बड़ा और कुख्यात नाम है. इसके कारनामों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि साइबर अपराधी प्रदीप मंडल की कारस्तानी पर जामताड़ा नामक वेब सीरीज बनायी गयी थी. इन साइबर अपराधियों के खिलाफ गुजरात में भी प्राथमिकी दर्ज है. गुजरात पुलिस भी इन्हें पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है.

ऐसे पैंतरे अपना कर एकाउंट से उड़ाते थे लोगों के पैसे

ईडी ने जांच में पाया कि इन साइबर अपराधियों ने इंटरनेट से बैंक के ग्राहकों का नाम और फोन नंबर हासिल कर लिया था. इसके बाद बैंक मैनेजर या अन्य पदाधिकारी बन कर फोन कर एटीएम बंद होने या बैंक अकाउंट केवाइसी कराने का झांसा देकर मोबाइल या लैपटॉप पर लिंक भेज कर खाते से पैसा उड़ा लेते थे.

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कई राज्यों में फैला रखा था अपना साम्राज्य

ईडी ने जब इन साइबर अपराधियों के बैंक खातों की जांच की तो अधिकारियों के होश उड़ गये. दरअसल, इन साइबर अपराधियों ने देश के अलग-अलग राज्यों में जैसे दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों में नकद राशि जमा कर रखी थी. इन साइबर अपराधियों द्वारा पहले ठगी के रुपयों को ट्रांसफर कर नकद निकासी कर ली जाती थी. इसके बाद निकासी की गयी राशि को इनके खातों में जमा किया जाता था. इस राशि से साइबर अपराधियों ने चल अचल संपत्ति खरीदी थी.

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ईडी ने जब्त की 67 लाख की संपत्ति

जांच के दौरान इडी ने इन अपराधियों द्वारा अर्जित 65.99 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की है. इन साइबर अपराधियों ने ठगी की राशि को इधर -उधर करने के लिए 33 इ-वायलेट का इस्तेमाल किया था. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद इसमें से नौ को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. जांच के दौरान इडी ने आरोपी साइबर अपराधियों के बैंक खातों में जमा राशि, अर्जित संपत्ति के पैसों के स्रोत के सिलसिले में पूछताछ की थी. लेकिन कोई भी साइबर अपराधी पैसों के वैध स्रोत की जानकरी नहीं दे सका.

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