पांच लोकपाल आंदोलनकारी 10 वर्ष के बाद मामले से बरी

अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए पांच आंदोलनकारियों को मामले से बरी कर दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | April 20, 2024 11:42 PM

रांची. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कृष्णकांत मिश्रा की अदालत में लोकपाल आंदोलनकारियों के मामले की सुनवाई हुई. इस दाैरान राज्य सरकार की तरफ से पांच गवाहों के बयान कलमबद्ध कराये गये, लेकिन अपराध साबित नहीं हो सका. इसके बाद अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए पांचों आंदोलनकारियों को मामले से बरी कर दिया. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता हुमायूं रशीद ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में राजभवन के समक्ष बिना अनुमति धरना-प्रदर्शन के आरोप में सामाजिक संगठन अन्नावादी इंसाफ पार्टी के सदस्य अधिवक्ता कफीलुर रहमान, विष्णु देव उरांव, अमीन अंसारी, परदेसी नायक, राजेश रजक को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. संगठन के प्रदेश प्रभारी अधिवक्ता कफीलुर रहमान ने कहा कि सरकार ने हमारी आवाज को दबाने के लिए झूठा केस दर्ज किया था. झारखंड में अभी भी लोकपाल कानून के तहत लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की गयी है, जिससे भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ गया है. गरीबों को न्याय नहीं मिल रहा है. झारखंड में कानून लागू करने से लेकर बढ़ रहे भ्रष्टाचार के विरोध हमारी लड़ाई जारी रहेगी.

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