झारखंड के 7 जिलों की 106 बस्तियों के पानी में ‘जहर’ घुल गया है. यहां के भू-जल का सेवन खतरनाक है. कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. रांची, हजारीबाग, चतरा, दुमका, साहिबगंज, जामताड़ा और पाकुड़ जिले के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और लोहा जैसे तत्व सामान्य से अधिक मात्रा में पाये गये हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. अलग-अलग प्रयोगशालाओं में पानी के 2,19,080 सैंपल की जांच के बाद यह तथ्य सामने आये हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी रांची के बेड़ो और नामकुम प्रखंड में भी भू-जल में हानिकारक तत्व घुल गये हैं. बेड़ो प्रखंड की करंजी पंचायत के करंजी गांव के महतो टोली बस्ती के पानी में आयरन (Iron in Water) की मात्रा अधिक है, तो नामकुम प्रखंड की लाली पंचायत के हेसलाटोली की जामा टोली बस्ती में भी ऐसी ही स्थिति है. यानी यहां के पानी का सेवन करने से नुकसान हो सकता है.
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सबसे बुरा हाल संथाल परगना का है. राज्य की 106 बस्तियों में 65 बस्तियां संथाल परगना की हैं. इनमें 53 बस्तियां सिर्फ दुमका जिले में हैं. जामताड़ा की 4, पाकुड़ की 5 और साहिबगंज की 3 बस्तियों के पानी में भी नुकसानदायक तत्व मान्य मात्रा से ज्यादा पाये गये हैं. जामताड़ा के फतेहपुर प्रखंड की धसनिया पंचायत के दो गांवों की चार बस्तियों में फ्लोराइड युक्त पानी लोग पी रहे हैं.
पाकुड़ जिला में 3 प्रखंडों की 4 पंचायतों में स्थित 4 गांवों की 5 बस्तियों में लोग फ्लोराइड का सेवन कर रहे हैं. वहीं, महेशपुर प्रखंड की दो पंचायतों में लोग विषाक्त जल का सेवन कर रहे हैं, तो पाकुड़िया प्रखंड की एक पंचायत की दो बस्तियों में लोग फ्लोराइडयुक्त पानी पी रहे हैं. साहिबगंज में दो प्रखंडों की दो पंचायतों के दो गांवों में पानी दूषित है, जिसका सेवन लोग कर रहे हैं.
चतरा जिला में 8 प्रखंड की 11 पंचायतों की 14 बस्तियों में फ्लोराइड की मात्रा सामान्य से ज्यादा पायी गयी है. इसी तरह हजारीबाग में 7 प्रखंड की 20 पंचायतों की 23 बस्तियों में फ्लोराइड और 2 बस्तियों में आयरन की मात्रा सामान्य से ज्यादा पानी में घुली पायी गयी है. हजारीबाग में 7 प्रखंडों की 23 बस्तियों के पानी में जहर घुल चुका है.