मजदूरी कर सीखा फुटबॉल, नेशनल टीम के कैंप में सेलेक्ट

कहते हैं अगर लगन हो, तो मुश्किलों के बाद भी सफलता आपके कदम चूमती है. यह साबित किया है कांके के चारीहुजीर की रहनेवाली दो महिला फुटबॉलरों सोनी मुंडा और अनीता कुमारी ने.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 15, 2020 6:14 AM
an image

दिवाकर सिंह, रांची : कहते हैं अगर लगन हो, तो मुश्किलों के बाद भी सफलता आपके कदम चूमती है. यह साबित किया है कांके के चारीहुजीर की रहनेवाली दो महिला फुटबॉलरों सोनी मुंडा और अनीता कुमारी ने. सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिलती है. लेकिन, फुटबॉल खेलने की लगन ने इन दोनों खिलाड़ियों को भारतीय महिला टीम के कैंप में शामिल होने का मौका उपलब्ध कराया. इस कैंप से ही भारतीय महिला अंडर-17 टीम का चयन किया जायेगा, जो 2021 में भारत में होनेवाले फीफा विश्व कप अंडर-17 में खेलेगी.

घर में सबकी सेवा कर खेला फुटबॉल, पाया मुकाम : दूसरी खिलाड़ी अनीता की कहानी सोनी की ही तरह है. सात साल पहले अनीता के खेलने का घरवालों के साथ गांववालों ने भी विरोध किया. ग्राउंड पर गांववाले शीशा तक फेंक देते थे, ताकि वह अभ्यास नहीं कर सके. लेकिन, अनीता का हौसला नहीं टूटा. लगातार खेलती रही और राज्य फुटबॉल टीम में खेलने का मौका मिला. इसके बाद 2019 में वह डेनमार्क फुटबॉल खेलने गयी. इसके बाद उसे भारतीय महिला फुटबॉल टीम के कैंप में जगह मिली.

मदद की गुहार : कांके के चारीहुजीर में कोच आनंद गोप की देखरेख में प्रतिदिन 200 से अधिक महिला फुटबॉल खिलाड़ी प्रशिक्षण लेती हैं. लेकिन, इन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. कोच आनंद का कहना है कि अगर उन्हें सरकार से कोई मदद मिल जाये, तो यहां प्रशिक्षण लेनेवाली लड़कियां और भी बेहतर कर सकेंगीं.

गांव के लोगों ने किये भद्दे कमेंट, नहीं टूटा हौसला : चारीहुजीर गांव की रहनेवाली सोनी मुंडा सात साल से फुटबॉल खेल रही है. लेकिन, गांव में रहकर फुटबॉल खेलना आसान नहीं था. जब ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जाती थी, तब गांव के लोग भद्दे कमेंट करते थे. कहते थे कि लड़की होकर फुटबॉल खेलेगी.

लेकिन, सोनी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. सुबह कोच आनंद गोप से फुटबॉल का प्रशिक्षण लेती थी और इसके बाद खेतों में काम करती थी. इसी दौरान तीन से चार बार झारखंड राज्य महिला फुटबॉल टीम की ओर खेलने का मौका भी मिला. वर्ष 2019 में वह डेनमार्क में फुटबॉल प्रतियोगिता खेलने गयी. सोनी के पिता बालकिशुन भी मजदूरी करते हैं , जबकि मां विकलांग है. वहीं, अब सोनी का चयन भारतीय अंडर-17 टीम के कैंप के लिए किया गया है.

Posted by : Pritish Sahay

Exit mobile version