झारखंड में केंदू पत्ता बेच 17.75 करोड़ नहीं वसूल सका वन विकास निगम
वन विकास निगम केंदू पत्ता बेच पैसे की वसूली नहीं कर पाया. केंदू पत्ते का करीब 17.75 करोड़ रुपये विभिन्न क्रेताओं के पास बकाया है. निगम ने क्रेता की ओर से तय तिथि के भीतर देय राशि जमा नहीं करने के कारण नीलाम पत्र दायर नहीं किया था. इस कारण यह राशि निगम क्रेताओं से नहीं वसूल सका.
Jharkhand News: वन विकास निगम केंदू पत्ता बेच पैसे की वसूली नहीं कर पाया. केंदू पत्ते का करीब 17.75 करोड़ रुपये विभिन्न क्रेताओं के पास बकाया है. निगम ने क्रेता की ओर से तय तिथि के भीतर देय राशि जमा नहीं करने के कारण नीलाम पत्र दायर नहीं किया था. इस कारण यह राशि निगम क्रेताओं से नहीं वसूल सका. खुलासा एजी की रिपोर्ट से हुआ है.
1199 में से 333 लॉट की बिक्री नहीं है
एजी ने अपनी जांच में पाया था कि 2016 से 2019 तक 1199 में से 333 लॉट की बिक्री नहीं हो पायी. जिस लॉट की बिक्री नहीं हो पायी थी, उसके संग्रहण के लिए वन विकास निगम ने सरकार से 61.93 करोड़ की राशि मांगी थी. राशि नहीं मिलने के कारण केंदू पत्ता नहीं तोड़ा जा सका. निगम ने इसे वास्तविक दर पर बेचने का प्रयास नहीं किया. इससे निगम को नुकसान भी हुआ.
Also Read: झारखंड में जल जीवन मिशन के तहत अब तक 10 फीसदी घरों में ही पहुंचा पानी
निगम ने व्यापारिक संभावना की तलाश नहीं की
वहीं, महालेखाकार ने पाया कि वन विकास निगम ने आसपास के पड़ोसी राज्यों की तरह व्यापारिक संभावना नहीं तलाशा. यह शर्त संस्था के ज्ञापन पत्र में था. अगस्त 2019 में हुई निगम बोर्ड की बैठक में यह तय हुआ है. ऐसा नहीं करने के कारण आय बढ़ाने में विफल रही. रोजगार सृजन का अवसर भी नहीं बढ़ा.
जमा नहीं की राशि
महालेखाकार ने पाया कि फरवरी 2008 में निर्देश जारी कर टिंबर बिक्री की 90 फीसदी राशि सरकारी खाते में जमा करने का प्रावधान था. शेष 10 फीसदी प्रशासनिक शुल्क में रखना था. 2015-16 से 2020-21 तक निगम ने 24.62 करोड़ रुपये टिंबर विक्रय से प्राप्त किया. कंपनी ने 90 फीसदी (22.16 करोड़) रुपया बैंक में जमा नहीं किया. इसे देय देनदारी में दिखाया. 2007-08 से 2014-15 तक का ब्योरा मांगा गया. निगम ने ब्योरा महालेखाकार को नहीं उपलब्ध कराया.