Land Scam News : बोकारो के तत्कालीन उपायुक्त के मौखिक आदेश से करायी गयी थी 74 एकड़ वन भूमि की रजिस्ट्री

बोकारो स्टील सिटी के लिए अधिग्रहित वन भूमि में से 74 एकड़ की रजिस्ट्री बोकारो के तत्कालीन उपायुक्त के मौखिक आदेश से हुई थी. 15 लाख रुपये की मार्केट कैप वाली कंपनी ने अपने गठन के 20 दिनों के अंदर ही 10.30 करोड़ रुपये की लागत से वन भूमि खरीदी. कंपनी के पास 20 दिनों के अंदर ही इतने पैसे कहां से आये, यह जांच का विषय है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 2, 2025 12:49 AM

शकील अख्तर (रांची). बोकारो स्टील सिटी के लिए अधिग्रहित वन भूमि में से 74 एकड़ की रजिस्ट्री बोकारो के तत्कालीन उपायुक्त के मौखिक आदेश से हुई थी. 15 लाख रुपये की मार्केट कैप वाली कंपनी ने अपने गठन के 20 दिनों के अंदर ही 10.30 करोड़ रुपये की लागत से वन भूमि खरीदी. कंपनी के पास 20 दिनों के अंदर ही इतने पैसे कहां से आये, यह जांच का विषय है. चास के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने वन भूमि की खरीद-बिक्री मामले की जांच के बाद सरकार को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है. साथ ही उन्होंने अपने और पारिवारिक सदस्यों को जमीन माफिया से खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है.

चास के वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने दिसंबर 2024 में सरकार को भेजी रिपोर्ट

बोकारो स्टील के लिए अधिग्रहित वन भूमि की खरीद-बिक्री के संबंध में चास के वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने दिसंबर 2024 में सरकार को रिपोर्ट भेजी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुनियोजित साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज के आधार पर अपना दावा करने के बाद तेतुलिया मौजा स्थित जमीन की खरीद-बिक्री की गयी. वर्ष 1933 में 1551 रुपये में नीलामी के सहारे 172.20 एकड़ जमीन खरीदने का दावा 80 साल बाद वर्ष 2012 में किया गया था. इसके बाद 2012-13 में म्यूटेशन केस शुरू कर सिर्फ 14 दिनों में इसका निबटारा करते हुए इजहार हुसैन व अन्य के नाम लगान रसीद जारी कर दी गयी. इजहार के नाम कायम जमाबंदी रद्द करने के आदेश के खिलाफ छिड़ी कानूनी जंग में पारित न्यायिक आदेश की गलत व्याख्या की गयी. न्यायालय ने जमीन पर मालिकाना हक की दावेदारी के मामले में टाइटल सूट दायर करने को कहा था, लेकिन जमीन की लगान रसीद इजहार व अन्य के नाम पर जारी कर दी गयी. इसके बाद शैलेश सिंह ने इजहार हुसैन से पावर ऑफ अटॉर्नी ली और उमायुष मल्टी कॉम से 74.38 एकड़ जमीन 10.30 करोड़ रुपये में बेच दी. उमायुष मल्टी कॉम का गठन जमीन खरीदने के 20 दिन पहले हुआ था. कंपनी का मार्केट कैप सिर्फ 15 लाख रुपये था. ऐसे में इस कंपनी द्वारा 10.30 करोड़ की लागत पर जमीन खरीदने का मामला मनी लाउंड्रिंग से संबंधित हो सकता है. इसलिए वन प्रमंडल पदाधिकारी ने सरकार से इस मामले में वित्तीय पहलुओं की गहन जांच कराने का अनुरोध किया है.

वन भूमि होने की वजह से प्रतिबंधित सूची में थी तेतुलिया की जमीन

सरकार को भेजी गयी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस उमायुष मल्टी कॉम के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री 10 फरवरी 2021 में हुई. रजिस्ट्री के समय तेतुलिया की जमीन वन भूमि होने की वजह से प्रतिबंधित सूची में थी. जमीन की रजिस्ट्री के लिए इसे प्रतिबंधित सूची से किसके आदेश से हटाया गया, यह स्पष्ट नहीं है. प्रतिबंधित सूची में होने के बावजूद जमीन की रजिस्ट्री होने के बारे में जिला अवर निबंधक से जानकारी मांगी गयी थी. जिला अवर निबंधन ने इस मामले में लिखित तौर पर अपना जवाब (पत्रांक 291, दिनांक 15 मार्च 2021) दिया. इसमें उन्होंने कहा कि तत्कालीन उपायुक्त के मौखिक आदेश से इस जमीन की रजिस्ट्री की गयी. सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में वन भूमि को लेकर की गयी कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि न्यायिक आदेश के आलोक में टाइटल सूट दायर कर दिया गया. फर्जी दस्तावेज के आधार पर वन भूमि की खरीद बिक्री के मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी जा चुकी है. साथ ही राज्य के सीनियर पुलिस पदाधिकारियों से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने का अनुरोध किया जा चुका है. उल्लेखनीय है कि वन प्रमंडल पदाधिकारी ने सरकार को जांच रिपोर्ट भेजने के बाद पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने जमीन माफिया से खतरा जताते हुए अपने और पारिवारिक सदस्यों की सुरक्षा की मांग की है.

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