वन विभाग के अधिकारी रांची में ले रहे इंटरनेट GIS और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण

डॉ कुलकर्णी ने बताया कि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून के विभिन्न संस्थानों के 15 प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए हैं. ये सभी तकनीकी अधिकारी और कर्मचारी हैं. यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद ये सभी लोग अपने-अपने संस्थान और क्षेत्र में इसे लागू करेंगे.

By Mithilesh Jha | September 20, 2022 1:05 PM
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वन उत्पादकता संस्थान रांची की ओर से देश के कोने-कोने से आये वन विभाग के अधिकारियों को झारखंड की राजधानी में कम्प्यूटर एंड इंटरनेट एप्लिकेशन (Computer And Internet Application) का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके लिए इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी की ओर से कैम्पा सीएचआरडी (CAMPA CHRD) के तहत पांच दिन के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है.

जीआईएस एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण

इस प्रशिक्षण शिवर में आये प्रशिक्षणार्थियों को पर्यावरण एवं वानिकी प्रबंधन में इंटरनेट जीआईएस एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी (Internet GIS And Remote Sensing Technology) के इस्तेमाल के बारे में प्रशिक्षित किया जायेगा. वन उत्पादकता संस्थान (Institute of Forest Productivity Ranchi) के डायरेक्टर डॉ नितिन कुलकर्णी ने इस शिविर का उद्घाटन किया.

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15 प्रशिक्षणार्थी हुए शामिल

डॉ कुलकर्णी ने बताया कि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून के विभिन्न संस्थानों के 15 प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए हैं. ये सभी तकनीकी अधिकारी और कर्मचारी हैं. यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद ये सभी लोग अपने-अपने संस्थान और क्षेत्र में इसे लागू करेंगे. इससे वनों के रखरखाव और उसके संरक्षण में मदद मिलेगी.

प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव संभव: डॉ शरद तिवारी

पाठ्यक्रम निदेशक डॉ शरद तिवारी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी. डॉ तिवारी ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान कार्यक्रमों में बदलाव संभव है. यह प्रशिक्षणार्थियों की रुचि पर निर्भर करेगा. अगर प्रशिक्षणार्थियों को कभी ऐसा लगता है कि प्रशिक्षण बोझिल हो रहा है, तो कार्यक्रम में बदलाव का आग्रह कर सकते हैं.

डॉ नितिन कुलकर्णी ने प्रशिक्षणार्थियों को दी परिचर्चा की सलाह

वन उत्पादकता संस्थान रांची के निदेशक डॉ नितिन कुलकर्णी ने प्रशिक्षण लेने के लिए देश के अलग-अलग हिस्से से आये प्रतिभागियों को सलाह दी कि आपस में परिचर्चा करें. उन्होंने कहा कि जितनी अधिक परिचर्चा करेंगे, विषय के बारे में उतनी ही गहरी समझ विकसित होगी. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का आनंद लें और उसे अपने पेशेवर जीवन में बेहतर तरीके से लागू करें.

परिचर्चा करेंगे तो विषय को समझने में होगी आसानी

डॉ कुलकर्णी ने कहा कि चूंकि आप सभी भारतीय वानिकी अनुसंधान संस्थान एवं शिक्षा परिषद से जुड़े संस्थानों से हैं, विषय-वस्तु को समझने में आसानी होगी. अलग-अलग विषयों पर परिचर्चा करेंगे, तो उसका लाभ आपको भी मिलेगा और आपके साथ प्रशिक्षण ले रहे अन्य लोगों को भी.

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